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इंडिया न्यूज़ से जुड़ी एंकर चित्रा त्रिपाठी

chitra tripathi, news anchor

एंकर चित्रा त्रिपाठी ने इंडिया न्यूज ज्वाइन कर लिया है। यहां पर उन्हे एंकर और सीनियर प्रोड्यूसर की जिम्मेदारी दी गई है। इसके पहले वो सहारा समय नेशनल में प्राइम टाइम न्यूज़ एंकर के तौर पर कार्यरत थीं और रात्रि 9 बजे का प्राइम नाइन पैनल डिस्कशन शो एंकर करती थीं।

chita-tripathiसहारा के पहले वो न्यूज24 और ईटीवी में भी सफलतापूर्वक काम कर चुकी हैं। उन्हे मीडिया फेडरेशन ऑफ इंडिया ने बेस्ट न्यूज कास्टर का पुरस्कार भी दिया था।

चित्रा गोरखपुर विश्वविद्यालय से डिफेंस स्टडीज में गोल्ड-मेडलिस्ट हैं और उनका पिछले साढ़े 8 वर्षों का टीवी एंकरिग तथा रिपोर्टिंग का करियर है।

चित्रा की संगठनात्मक क्षमताओं को देखते हुए उन्हे सहारा इंडिया परिवार के चेअरमैन सुब्रत राय सहारा के मुंबई स्थित दफ्तर में ट्रांसफर कर दिया गया था। जहां उन्हे सुब्रत राय सहारा की कोर कैबिनेट में शामिल किया गया था। वो सहारा श्री के साथ कई खास प्रोजेक्टस के सिलसिले में विदेश-यात्राओं पर भी गई थीं और 2012 लंदन ओलंपिक को भी लंदन जाकर कवर किया था।

चला दो एक और टिकर, अरे रेप है रेप ब्रेकिंग न्यूज़

ब्रेकिंग न्यूज़ ,ब्रेकिंग न्यूज़

चला दो एक और टिकर

अरे रेप हुआ है,रेप

खेल लो आधे घंटे मेरी अस्मत का खेल

मेरे नोचे जाने का विजुअल भी है

‘बाईट’ भी है

ले लो ‘फोनो ‘कानून ‘के दलालों से

लगा दो मुझपर बदचलनी का आरोप

की बहुत छोटे थे मेरे कपड़े

न्यूज़ चैनलों की बदमाशी देखिये

न्यूज़ चैनलों की बदमाशी देखिये यदि सरकार जनता की किसी मांग पर ध्यान न दे तो कहते है कि सरकार अड़ी हुई है और जनता कि अनदेखी कर रही है यदि ध्यान देती है तो एंकर चिल्लाना शुरू कर देते है कि सरकार झुक गयी है I

अभी अभी ए बी पी चैनेल पर एंकर चिल्ला रहा है कि सोनिया गाँधी ने गृह मंत्री और प्रधान मंत्री से बात कि है कानूनों में बदलाव कि घोषणा आज किसी भी समय हो सकती है और फांसी की सजा का प्रावधान किया जा सकता है I

इसमें झुकने की बात कह कर सरकार के अहम को चोट पहुंचा कर बनते काम को बिगाड़ने का काम ये चैनल ही करते है इनके रिपोर्टर इतने सर्वशक्तिमान होते है जो पलक झपकते ही यह बता देते है की सरकार या फलां नेता क्या सोच रहा है और क्या करने वाला है अर्थात ये रिपोर्टर नहीं भगवन हो गए. (सुरेश शर्मा के फेसबुक वॉल से साभार)

जी न्यूज़ मुहिम के लिए भी पैसे मांगता है

कहते हैं चोर चोरी से जाए हेरा – फेरी से न जाए. ऐसा ही कुछ हाल जी न्यूज का हो गया है. जी न्यूज की साख तो कोयले की कालिख से काली हो ही चुकी है. सो अब वह बेशर्म हो चला है. शर्म – हया छोड़ मीडिया को खुलेआम मंडी बनाकर बेचने की कोशिश करता दिखने लगा है.

अपने संपादकों को सौ करोड़ मांगने नवीन जिंदल के दरवाजे भेजा. लेकिन वहां पैसा तो नहीं मिला , उलटे स्टिंग की सीडी मुफ्त में मिल गयी जिसकी बड़ी कीमत जी न्यूज को चुकानी पड़ी और उगाही वाले दोनों संपादक तिहाड़ जेल पहुँच गए.

अब जी ग्रुप के मालिक और संपादक कोर्ट – कचहरी और पुलिस के चक्कर काट रहे हैं और साख बचाने की अंतिम कोशिश के तहत मान – हानि का दावा करते फिर रहे हैं.

जाहिर है कि ये सब करने में जी न्यूज़ का काफी पैसा खर्च हो रहा है. उधर सौ करोड़ नहीं मिले, इधर ये खर्चा. अब इसी खर्चे की भरपाई के लिए जी न्यूज ने सरोकार के साथ धन कमाने की युक्ति निकाली है.

आजतक सौम्या विश्वनाथन को और एबीपी न्यूज़ सायमा सहर को भी याद कर ले

बलात्कार का रियल्टी शो / महिला अपराध पर न्यूज़ चैनल अपने अंदर भी झांके / आजतक, जी न्यूज़, एबीपी न्यूज़ महिला अपराध पर खुद भी एक बार आइना देख लें.

aaj-tak-reporterबलात्कार, बलात्कार और बलात्कार. पिछले छः दिनों से समाचार चैनलों पर बलात्कार शब्द का न जाने कितनी बार इस्तेमाल हुआ. जिस शब्द को बोलने में जबान लड़खड़ाती थी आज वह शब्द पानी की तरह बह रहा है. समाचार चैनलों की कृपा से बच्चे – बच्चे की जुबान पर शब्द बैठ गया और अब इसे बोलते हुए पहले जैसी जबान लड़खड़ाती नहीं.

एक नज़र में समाचार चैनलों के सरोकार पर न्योछावर होने का जी करता है. उनकी क्रांतिकारिता को सलाम ठोकने का दिल करता है. दुष्कर्म के खिलाफ उनकी मुहिम काबिलेतारीफ है. लेकिन क्या वाकई में महिला अपराध को लेकर समाचार चैनल इतने संवेदनशील हैं और जड़ से इसे खत्म करने के लिए गंभीर भी?

ज़ी –जिंदल उगाही मामले में जी न्यूज़ के साथ –साथ बाकी चैनलों की भी इज्जत उतर गयी. इसलिए अभी सरोकार की दरकार भी थी. दिल्ली दुष्कर्म मामले ने ये मौका भी दे दिया और लगभग सारे चैनल सरोकार का लबादा ओढ़ कर सरोकारी चैनल की भूमिका में आ चुके हैं. लेकिन धीरे – धीरे ये सारा सरोकार रियल्टी शो में तब्दील होता जा रहा है.

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