इंडिया टुडे की मुहिम रंग लायी, रेप हो गया : इंडिया टुडे जिसे आजकल अश्लील टुडे भी कहने लगे हैं , उसकी सेक्स को लेकर मुहिम सफल रही. दिल्ली में बलात्कार हो गया. हर साल की तरह इंडिया टुडे का सेक्स सर्वे वाला अंक कुछ दिन पहले ही आया था.
खास बात ये रही कि पिछले कई सालों के सेक्स सर्वे के चुनिंदा अंकों को भी इसमें शामिल किया गया था. यह इंडिया टुडे की तरफ से पाठकों को दिया जाने वाला एक्स्ट्रा बोनस है ताकि पुराने सर्वे का भी पाठक आनंद उठा सके.
ख़ैर ताजा अंक की बात करते हैं. इंडिया टुडे के सेक्स सर्वे वाले ताजा अंक में आवरण कथा पर एक स्त्री के शरीर के नीचे हिस्से की नग्न तस्वीर छपी है. इंडिया टुडे की इस तस्वीर पर हंगामा भी हुआ और आलोचना भी.
लेकिन इंडिया टुडे के संपादक को संभवतः यह लगता है कि ऐसी तस्वीर को देखकर जो लोग आलोचना कर रह हैं वे संकीर्ण मानसिकता के हैं और वे औरत की देह के ऊपर नहीं उठ पाए हैं. उनकी नज़र में संभवतः सेक्स को लेकर जागरूकता फ़ैलाने का काम कर रहे हैं. सेक्स शिक्षा दे रहे हैं.
लेकिन सवाल है कि आवरण कथा पर स्त्री की नग्न तस्वीर प्रकाशित कर के ही क्या सेक्स के प्रति सामाजिक जागरूकता फैलाई जा सकती है. यह स्त्री को भोग की तरह पेश करने की सफल कोशिश है.
यह सेक्स के प्रति सामाजिक जागरूकता फ़ैलाने से ज्यादा सेक्स को लेकर गाँव – कस्बों , ट्रक ड्राइवरों और बस ड्राइवरों को उकसाना है कि सेक्स करो, सहमति से या असहमति से या फिर बलात्कार.
मान लेते हैं कि इंडिया टुडे अच्छी नीयत से ही सेक्स सर्वे और नग्न तस्वीरों को छाप रहा होगा. लेकिन सवाल उठता है कि आपके पाठक उसे किस तरह से ले रहे हैं? उनपर क्या प्रभाव पड़ रहा है?
दूसरी बात यदि इंडिया टुडे (हिंदी) के पाठक के संदर्भ में सोंचा जाए कि उसका पाठक वर्ग कौन है? कौन से लोग उसे पढते हैं ? तो भी चीजें स्पष्ट होगी.
इंडिया टुडे (हिंदी) का बहुत बड़ा पाठक वर्ग है. शहर से लेकर गाँव तक में उसकी पकड है. इंडिया टुडे को हिंदी को देश – समाज में रुचि रखने वाले शख्स से लेकर बहुत सारे ट्रक ड्राइवर, ऑटो ड्राइवर और अपेक्षाकृत कम पढ़े – लिखे लोग भी पढते हैं. उनपर इंडिया टुडे के सेक्स सर्वे और उभार की सनक का क्या असर होता होगा? ये जानने की इंडिया टुडे के संपादक ने कभी जहमत उठाई.
उदाहरण के तौर पर एक ट्रक ड्राइवर जिसने अपनी ट्रक में इंडिया टुडे की कॉपी रखी हुई थी वह शराब के नशे में अपने साथी ट्रक ड्राइवरों को इंडिया टुडे का सेक्स सर्वे वाला अंक दिखाकर कह रहा था कि इसे देखकर यार मूड बन जाता है. कुछ – कुछ होता है. और क्या होता है, दिल्ली बलात्कार आपके सामने है.
बलात्कार एक घिनौना अपराध है तो इसकी पृष्ठभूमि बनाने वाले भी इसके लिए जिम्मेदार हैं. इंडिया टुडे और दूसरी पत्रिकाएं भी ऐसे सेक्स सर्वे और नग्न स्त्री देह को आवरण पर छापकर ऐसी ही पृष्ठभूमि तैयार कर रही है. यदि ये काम सरस सलिल करे तो उसके लिए शब्द बर्बाद करना व्यर्थ है.लेकिन इंडिया टुडे सरस सलिल नहीं और उसे अपनी जिम्मेदार निभानी चाहिए. सेक्स को लेकर जागरूकता फैलाना और सेक्स को टूल बनाकर पत्रिका का सर्कुलेशन बढ़ाने के अंतर को हिन्दुस्तान पहचानता है.