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आजतक की महिला एंकरों और महिला आयोग की बेशर्म हँसी में क्या अंतर है?

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चेहरा व्यक्तित्व का आईना होता है. आपके काम का अक्श आपके चेहरे पर दिखता है. एक टेलीविजन पत्रकार के लिए भाव – भंगिमा का अपनी रिपोर्ट से मैच करना बेहद जरूरी है. तभी वह जेनुइन लगता है. फर्ज कीजिये शम्स ताहिर खान सीधे खबर पढ़े . उनका खबरों का कहने का उनका शायराना अंदाज़ उनसे छीन लिया जाए तो शम्स – शम्स नहीं रहेंगे. इसी तरह से एबीपी न्यूज़ के उमेश कुमावत जो एक जेनुइन रिपोर्टर लगते हैं उसमें उनके चेहरे के भाव – भंगिमा का बड़ा रोल है. ठीक इसी तरह रवीश और पुण्य प्रसून बाजपेयी को भी उदाहरण के तौर पर ले सकते हैं. लेकिन इनके चेहरे पर ये भाव बनावटी नहीं हैं, बल्कि वर्षों ख़बरों की ताप में तपकर आयी है. ये खबरों के साथ जुडकर ख़बरें करते हैं और वह उनके चेहरे से और उनके हाव भाव से दिखता है. इसलिए इनके आते ही स्क्रीन बदलना नामुमकिन हो जाता है. रवीश जैसे रिपोर्टर – एंकर की खासियत है कि वे कैमरे से हटने के बाद भी खबरों से जुड़े रहते हैं. ये नहीं कि एक तरफ संवेदनशील खबर की और दूसरे ही पल हँसी ठठा में लग गए. तभी इनकी अलग पहचान है.

लेकिन आजतक की टीआरपी कठपुतलियाँ इससे कोसों दूर है. तस्वीर दर्शा रही है कि गमगीन माहौल में ये कैसे हंसी – ठठा कर रही हैं. दिल्ली में सामूहिक दुष्कर्म मामले पर एक कवरेज के बाद जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय के कैंटीन में हंसी – ठठा और तस्वीर खिंचवा रही हैं. महिला होने के बावजूद उनके लिए पीड़िता का दर्द सिर्फ एक खबर है. चेहरा चमकाने कर सुर्खियाँ बटोरने का बस एक तरीका.

national women commision team alka lambaइससे संबंधित खबर मीडिया खबर पर लगायी गयी. आलोचना भी हुई कि क्या एंकरों का हंसना भी गुनाह है? यदि वे गंभीर खबर करने गयी हैं तो क्या हंसना – मुस्कुराना छोड़ कर हमेशा गंभीरता का लबादा ओढ़े घूमते रहे. ऐसा हम बिलकुल नहीं चाहते और न कह रहे हैं. लेकिन मामले की गंभीरता भी तो कोई चीज होती है. ऐसा नहीं है तो आजतक और तमाम न्यूज़ चैनलों ने गुवाहटी छेड़छाड़ मामले में महिला आयोग कि सदस्यों द्वारा तस्वीर खिंचवाने पर क्यों हंगामा किया था. टीआरपी की इन्हीं कठपुतलियों ने महिला आयोग के सदस्यों को बेशर्म करार दिया था. फिर अपने मामले में दोहरा मापदंड क्यों? आज तक की महिला एंकरों और महिला आयोग की बेशर्म हँसी में क्या अंतर है? आजतक से पूछता है मीडिया खबर.

मीडिया खबर पर इसी मुद्दे पर अभिषेक नाम के पाठक टिप्पणी करते हुए लिखते हैं :

फिर ये न्यूज चैनल गुवाहाटी गयी महिला आयोग की सदस्यों के हंसते हुए फोटो खिंचवाने पर क्यों रो रहे थे..? ये न्यूज चैनल गुवाहाटी गयी महिला आयोग की सदस्यों के हंसते हुए फोटो खिंचवाने पर क्यों रो रहे थे..? सबको याद होगा कि जब जुलाई में महिला आयोग की टीम गुवाहाटी में छेड़छाड़ की शिकार लड़की के पास जांच के लिये गयी थी तो उन्होंने एयरपोर्ट पर स्वागत के समय पारंपरिक टोपी पहन कर फोटो खिंचवा लिया था। उस मौके पर इन्हीं ऐंकरों ने ऐसा विधवा विलाप किया था मानों आसमान सर पर उतर आया हो.. अब अपने चेहरों को देख कर ये क्या कहेंगी..?

देखिए आजतक की न्यूज़ मॉडलों को सरोकार के कारोबार में जेएनयू कैंटीन में ठठा लगाते

आज तक की टीआरपी कठपुतलियों की एक अनदेखी तस्वीर

aajtak-female-anchor-joyमीडिया खबर डॉट कॉम पर जब कहा गया कि समाचार चैनल बलात्कार का रियल्टी शो बनाने पर आमदा हैं तो कुछ लोगों को ये गैरवाजिब लगा. तर्क ये कि न्यूज़ चैनल बढ़िया काम कर रहे हैं और उनकी तारीफ़ होनी चाहिए. लेकिन मीडिया खबर आलोचना करने के लिए आलोचना कर रहा हैं जो तर्कसंगत नहीं है. इसलिए इस बार हम प्रमाण के साथ आये हैं. प्रमाण पत्रकारों की संजीदगी और गैर संजीदगी की.

तस्वीरें झूठ नहीं बोलती. यहाँ जो तस्वीर लगी है कि उसमें नज़र आ रही महिलायें आजतक की वही जाबांज एंकर और रिपोर्टर हैं जो सड़कों पर उतरकर भीड़ के बीच से ‘पूछता है आजतक’ कर रही हैं. वहां से पीटूसी देती या एंकरिंग करती हुई ये महिला पत्रकार सामूहिक दुष्कर्म के मामले को लेकर कितनी संवेदनशील दिखती हैं. लेकिन वास्तविकता में ऐसा नहीं है. उनकी संवेदनशीलता की सारी पोल पट्टी ये तस्वीर खोल रही है जो मीडिया खबर के एक पाठक ने भेजी है.

इंडिया न्यूज़ से जुड़ी एंकर चित्रा त्रिपाठी

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एंकर चित्रा त्रिपाठी ने इंडिया न्यूज ज्वाइन कर लिया है। यहां पर उन्हे एंकर और सीनियर प्रोड्यूसर की जिम्मेदारी दी गई है। इसके पहले वो सहारा समय नेशनल में प्राइम टाइम न्यूज़ एंकर के तौर पर कार्यरत थीं और रात्रि 9 बजे का प्राइम नाइन पैनल डिस्कशन शो एंकर करती थीं।

chita-tripathiसहारा के पहले वो न्यूज24 और ईटीवी में भी सफलतापूर्वक काम कर चुकी हैं। उन्हे मीडिया फेडरेशन ऑफ इंडिया ने बेस्ट न्यूज कास्टर का पुरस्कार भी दिया था।

चित्रा गोरखपुर विश्वविद्यालय से डिफेंस स्टडीज में गोल्ड-मेडलिस्ट हैं और उनका पिछले साढ़े 8 वर्षों का टीवी एंकरिग तथा रिपोर्टिंग का करियर है।

चित्रा की संगठनात्मक क्षमताओं को देखते हुए उन्हे सहारा इंडिया परिवार के चेअरमैन सुब्रत राय सहारा के मुंबई स्थित दफ्तर में ट्रांसफर कर दिया गया था। जहां उन्हे सुब्रत राय सहारा की कोर कैबिनेट में शामिल किया गया था। वो सहारा श्री के साथ कई खास प्रोजेक्टस के सिलसिले में विदेश-यात्राओं पर भी गई थीं और 2012 लंदन ओलंपिक को भी लंदन जाकर कवर किया था।

चला दो एक और टिकर, अरे रेप है रेप ब्रेकिंग न्यूज़

ब्रेकिंग न्यूज़ ,ब्रेकिंग न्यूज़

चला दो एक और टिकर

अरे रेप हुआ है,रेप

खेल लो आधे घंटे मेरी अस्मत का खेल

मेरे नोचे जाने का विजुअल भी है

‘बाईट’ भी है

ले लो ‘फोनो ‘कानून ‘के दलालों से

लगा दो मुझपर बदचलनी का आरोप

की बहुत छोटे थे मेरे कपड़े

न्यूज़ चैनलों की बदमाशी देखिये

न्यूज़ चैनलों की बदमाशी देखिये यदि सरकार जनता की किसी मांग पर ध्यान न दे तो कहते है कि सरकार अड़ी हुई है और जनता कि अनदेखी कर रही है यदि ध्यान देती है तो एंकर चिल्लाना शुरू कर देते है कि सरकार झुक गयी है I

अभी अभी ए बी पी चैनेल पर एंकर चिल्ला रहा है कि सोनिया गाँधी ने गृह मंत्री और प्रधान मंत्री से बात कि है कानूनों में बदलाव कि घोषणा आज किसी भी समय हो सकती है और फांसी की सजा का प्रावधान किया जा सकता है I

इसमें झुकने की बात कह कर सरकार के अहम को चोट पहुंचा कर बनते काम को बिगाड़ने का काम ये चैनल ही करते है इनके रिपोर्टर इतने सर्वशक्तिमान होते है जो पलक झपकते ही यह बता देते है की सरकार या फलां नेता क्या सोच रहा है और क्या करने वाला है अर्थात ये रिपोर्टर नहीं भगवन हो गए. (सुरेश शर्मा के फेसबुक वॉल से साभार)

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