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खबरिया चैनलों पर ख़बरों का तेवर बदला, सरकार ने एडवाईजरी की आड़ में कसा शिकंजा

सामूहिक दुष्कर्म मामले में दिल्ली में आंदोलन हुआ. आंदोलन का माहौल बनाने में न्यूज़ चैनलों ने अहम भूमिका निभाई. लेकिन जब आंदोलन बड़ा होते दिखने लगा तो सरकार को पसीना आ गया. इसलिए सबसे पहले उसने न्यूज़ चैनलों की कवरेज को ही बाधित किया.

पहले इंडिया गेट पर कवरेज कर रहे कैमरों पर पानी की बौछार की और फिर अहिंसक प्रदर्शनकारियों पर डंडे बरसाए.

दूसरे दिन इंडिया गेट खाली था. कैमरों को भी वहां जाने की इजाजत नहीं. न्यूज़ चैनलों को भी एडवाईजरी की शक्ल में धमकी मिल चुकी थी और चैनलों पर आंदोलन को लेकर खबरों का तेवर ढीला पड़ चुका था.

सरकार ने क्या एडवाईजरी जारी की है उसे यहाँ नीचे प्रकाशित कर रहे हैं. इसकी भाषा भले सीधी है, लेकिन अर्थ गहरा है.

काश ऐसे ही एडवाइजरी सरकार उस वक्त भी भेजती जब चैनल उल -जूलूल दिखाते हैं और ख़बरों की गरिमा नष्ट करते हैं. लेकिन उस वक्त आईबी मिनिस्ट्री कुम्भकर्णी नींद में सोयी रहती है और जब खांटी खबर दिखा रहे हैं तो सरकार को दिक्क्त है . सो चटाक से एडवाईजरी जारी कर चैनलों की कनपट्टी पर पिस्टल तान दिया. बोले तो धायं.

Whereas a number of private satellite news TV channels have been showing programmes covering round-the-clock direct telecastof the events relating to public demonstration being held in New Delhi in the wake of the unfortunate and tragic incident of gang rape of a young girl on 16th December, 2012 in a moving bus.Thechannelshave been covering the agitation and the efforts of the law enforcing authorities to maintain law & order, as well as the commentaries of the channel reporters to portray the incidents from their own perspectives.

गायब करके वर्तिका नंदा से सवाल पूछता है एबीपी न्यूज़?

स्टार न्यूज़ वर्तिका नंदा दो विंडो में एक ही एक्सपर्ट : एबीपी न्यूज़ पर आज बड़ी बहस चल रही थी. बहस वाकई में बड़ी थी. बहस प्रधानमंत्री के बयान को लेकर थी.

प्रधानमंत्री ने आज राष्ट्र के नाम अपने संदेश में कहा कि लोगों का गुस्सा जायज है.

एबीपी न्यूज़ का सवाल था कि गुस्सा जायज है तो उसे लाठियों से क्यों कुचला गया. पैनल में कई एक्सपर्ट के साथ डॉ.वर्तिका नंदा भी थी.

वर्तिका नंदा एबीपी न्यूज़ पर आते रहती हैं. लेकिन उनके मामले में एबीपी न्यूज़ हमेशा कन्फ्यूज रहता है.

एक बार विंडो में दो – दो बार उन्हीं को दिखा दिया था और आज उन्हें गायब ही कर दिया.

एबीपी न्यूज़ के पैनल डिस्कशन में एंकर वर्तिका नंदा से सवाल पूछ रही थी और वर्तिका नंदा विंडो में कहीं नज़र ही नहीं आ रही थी.

सिर्फ आवाज़ आ रही थी. कुछ क्षण तक यही तमाशा हुआ. फिर सब कुछ सामान्य हो गया.

ख़ैर तकनीकी मामला है ये सब होता रहता. चिल्ल.

(आज की तस्वीर नहीं है  , इसलिए पुरानी तस्वीर लगा रहे हैं.)

 

महिलाओं और मीडिया की आज़ादी पर बर्बर हमला

पुलिस ने सबसे पहले अपना लक्ष्य मीडियाकर्मियों और उनके कैमरों को निशाना बनाया.उन पर वाटर कैनन से पानी का बौछार किया और उनकी तरफ आंसू गैस के गोले फेंके.जब उनको इस बात की तसल्ली हो गई कि पुलिस कार्रवाई की अब लाइव कवरेज नहीं हो सकती. ठीक इसी वक्त आन्दोलनकारियों पर हमला शुरू कर दिया

23 दिसंबर,2012.नई दिल्ली. अनियंत्रित भीड़ को,नियंत्रित करने में दिल्ली पुलिस खुद अनियंत्रित हो जाती है,शांतिपूर्ण धरने पर बैठे आन्दोलनकारियों पर पीछे से हमला करती है.रामलीला मैदान से लगायत इण्डिया गेट तक इस बात का गवाह है. आज शाम दिल्ली पुलिस ने जिस तत्परता से निहत्थे आन्दोलनकारियों पर आंसू गैस,वाटर कैनन और लाठी से हमला किया,यह एक बारगी पुलिस नहीं,सरकार की रणनीति मालूम पड़ती है.

पुलिस की गोली से पत्रकार की मौत

इंफाल। मणिपुर की राजधानी इंफाल में फिल्म अभिनेत्री से अश्लील हरकत करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इसके खिलाफ कल शुरू हुआ विरोध आज रविवार को भी जारी है। लेकिन विरोध ने आज हिंसक रूप ले लिया। आज हुई हिंसा के दौरान पुलिस फायरिंग में एक प्राइवेट टीवी चैनल के पत्रकार की मौत हो गई।

इसके साथ ही इंफाल पूर्वी और पश्चिमी जिले में क‌र्फ्यू लागू कर दिया गया है। हिंसा में शामिल बंद समर्थकों को तितरबितर करने के लिए पुलिस द्वारा की गई फायरिंग से प्राइम टाइम चैनल के पत्रकार थानजियाम ननाओ सिंह की मौत हो गई। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने कई गाड़ियों में आग लगा दी।

पुलिस को हिंसा में शामिल लोगों पर नियंत्रण करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े। कई इलाकों में क‌र्फ्यू लगा दिया गया है। गौरतलब है कि इस मोलेस्टेशन के खिलाफ फिल्म संबंधी एक संस्था ने रविवार को आम हड़ताल का आह्वान किया है।

एनडीटीवी के उमाशंकर सिंह के सवालों से भाग खड़ी हुई बर्बर पुलिस

एनडीटीवी इंडिया के पत्रकार उमाशंकर सिंह समेत तमाम न्यूज़ चैनलों के कैमरों पर पानी की बौछार कर सरकार ने अपनी कायरता छुपाने की आज भले कोशिश की.

लेकिन पत्रकारों के सवालों की बौछार ने एक तरफ जहाँ सरकार के मुंह पर कालिख पोत दी तो दूसरी तरफ पुलिस वाले भाग खड़े हुए.

ऐसे में जेहन में आया कि बेचारे जो काम डंडे के जोर पर लोगों के साथ नहीं कर सके, वही काम न्यूज़ चैनलों के कैमरे और उमाशंकर के सवालों ने उनके साथ कर दिखाया.

उमाशंकर सवाल बरसाते रहे और पुलिस वाले भागते रहे. पूरी वीडियो.

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