Home Blog Page 1030

दीपक चौरसिया 14 जनवरी को इंडिया न्यूज ज्वाइन करेंगे

Deepak Chaurasia news anchor

प्रसिद्ध टेलीविजन पत्रकार दीपक चौरसिया 14 जनवरी को इंडिया न्यूज़ ज्वाइन कर लेंगे.

गौरतलब है कि 31दिसंबर,2012 को उन्होंने एबीपी न्यूज़ से अपना इस्तीफा दे दिया था.

इंडिया न्यूज़ में उनकी किस तरह की भूमिका होगी, ये अभी तक स्पष्ट नहीं है.

लेकिन ख़बरों के मुताबिक वे बतौर एडिटर-इन-चीफ ज्वाइन करेंगे.

अभी इस ग्रुप के तहत तीन चैनल इंडिया न्यूज़ – राष्ट्रीय, इंडिया न्यूज़ हरियाणा और इंडिया न्यूज़ बिहार चलते हैं.

दीपक एबीपी न्यूज़ के पहले आजतक और दूरदर्शन के साथ भी काम कर चुके हैं.

महिला न्यूज़ एंकरों पर इमोशनल अत्याचार !

दिल्ली में सामूहिक बलात्कार मामले में पीड़िता की मौत के बाद समाचार चैनल कुम्भकर्णी नींद से जाग गए हैं. अब न्यूज़ चैनलों पर बलात्कार, सामूहिक बलात्कार से संबंधित इतनी अधिक ख़बरें दिखाई जा रही है कि लगता है कि हम बलात्कारियों के देश में आ गए या फिर ऐसा लगता है कि दिल्ली में सामूहिक दुष्कर्म के बाद दुष्कर्म के मामले बढ़ गए.

लेकिन सच ये है कि पहले से ही ये मामले हो रहे थे, लेकिन न्यूज़ चैनलों पर कुछ मामलों को छोड़कर बाकी संबंधित खबरों को आयाराम – गयाराम की तरह पहले चलाया जाता था, सो ये खबरें कई बार दिखाने के बावजूद नोटिस में नहीं आते थे.

न्यूज24 पर निर्मल बाबा रिटर्नः जो चैनल खुद का नहीं है वो आपका-हमारा क्या होगा ?

न्यूज़ 24 और निर्मल बाबा एक – दूसरे के बिना ज्यादा दिन तक नहीं रह सकते. आलोचना, मीडिया की नैतिकता और कोर्ट – कचहरी के चक्कर में चैनल और बाबा अलग तो हो गए , लेकिन सच्ची मुहब्बत थी सो फिर दोनों आ मिले . न्यूज़ 24 के स्क्रीन पर निर्मल बाबा रिटर्न कर चुके हैं. दरअसल दोनों ने एक – दूसरे को बहुत कुछ दिया है. निर्मल बाबा को और अधिक प्रसिद्धि मिली तो न्यूज़24 को टीआरपी के साथ – साथ मुद्रा की भी प्राप्ति हुई. अब फिर दोनों पुराने इतिहास को दुहरा रहे हैं और पाखण्ड एक बार फिर से लाइव है. मीडिया मामलों के विशेषज्ञ विनीत कुमार का विश्लेषण (मॉडरेटर)

news 24 nirmal babaन्यूज 24 पर निर्मल बाबा का विज्ञापन एक बार फिर से बदस्तूर जारी है. एक ऐसे चैनल पर जिसका शुरु से नारा ( इसे नारा तक ही समझें) रहा है- न्यूज इज बैक. न्यूज कितनी और किस तरह से बैक हुई, इस पर तो अळग से शोध की जरुरत है लेकिन इतना जरुर है कि एक ऐसे शख्स के गुणगान में विज्ञापन की वापसी हुई है जिसे दूसरे चैनलों के साथ-साथ खुद न्यूज24 लगभग खलनायक साबित कर चुका था. ये अलग बात है कि टीवी की दुनिया में निर्मल बाबा का आगमन इसी चैनल के जरिए हुआ और इतना ही नहीं इसने पेड कार्यक्रम और विज्ञापन को इस तरीके से दिखाया कि ये टीआरपी चार्ट तक में शामिल हो गया. मतलब विज्ञापन की टीआरपी न्यूज कंटेंट में आ गयी. इसे लेकर सोशल मीडिया पर घड़ीभर के लिए हो-हल्ला हुआ लेकिन बात आगे तक नहीं गई और सवाल इस पर भी नहीं उठा कि आखिर ये सब हुआ कैसे और टैम के लोग भांग खाकर रिपोर्ट जारी करते हैं क्या ?

विष्णुगुप्त का लेख मार लिया अखबार ने और क्रेडिट भी नहीं दिया

हिन्दी के अखबारों में अनपढ़ और अपराधी टाइप के लोगों का आधिपत्य हो गया है। सरकारी विज्ञापन हासिल कर धनवान बनने की इच्छा से कुकुरमुत्ते की तरह अखबारों की बाढ़ आ गयी।

अखबारों न तो संपादक होता है और न ही संपादकीय टीम होती है। चोरी और बिना ऐडिट के समाचार-लेख प्रकाशित करते हैं। एक ऐसा ही अखबार है जिसका नाम है ‘जगतक्रांति‘। यह अखबार हरियाणा के जींद से निकलता है।

जगतक्रांति अखबार ने एक जनवरी 2013 को ‘तेलंगाना पर आग-पानी का खेल‘ नामक शीर्षक मेरे लेख को किसी दूसरे के नाम से छाप दिया और खंडन भी नहीं छाप रहा है।

क्या ऐसे अखबारों और उनके मालिकों के खिलाफ सरकारी कार्यवाही नहीं होनी चाहिए, क्या प्रेस परिषद जैसे नियामकों को स्वयं संज्ञान नहीं लेना चाहिए? (पत्रकार और स्तंभकार विष्णुगुप्त के वॉल से)

लड़कियां चूमती है तो मर्दों की चड्डी बिकती है !

television advertisment

thermocot-ad1. जिस देश में दो सौ रुपये के एक रुपा थर्मॉकॉट बेचने के लिए नेहा,स्नेहा जैसी कुल छह लड़कियों को स्वाहा करने की जरुरत पड़ जाती हो. 60-70 की चड्डी पहनते ही दर्जनों लड़कियां चूमने दौड़ पड़ती हो, सौ-सवा रुपये की डियो के लिए मर्दों के मनबहलाव के लिए आसमान से उतरने लग जाती हो. कंडोम के पैकेट हाथ में आते ही वो अपने को दुनिया की सबसे सुरक्षित और खुशनसीब लड़की/स्त्री समझने लग जाती हो..वहां आप कहते हैं कि हम मीडिया के जरिए आजादी लेकर रहेंगे. आप पलटकर कभी मीडिया से पूछ सकते हैं कि क्या उसने कभी किसी पीआर और प्रोमोशनल कंपनियों से पलटकर सवाल किया कि बिना लड़की को बददिमाग और देह दिखाए तुम मर्दों की चड्डी,डियो,थर्मॉकॉट नहीं बेच सकते ? हॉट का मतलब सिर्फ सेक्सी क्यों है,ड्यूरेबल का मतलब ज्यादा देकर टिकने(फ्लो नहीं होने देनेवाला) क्यों है और ये देश स्त्री-पुरुष-बच्चे बुजुर्ग की दुनिया न होकर सिर्फ फोर प्ले प्रीमिसेज क्यों है ? तुम अपना अर्थशास्त्र तो बदलो,देखो समाज भी तेजी से बदलने शुरु होंगे..

2. टेलीविजन के विज्ञापन और उनका कंटेंट दो अलग-अलग टापू नहीं है. इस पर बात करने से एडीटोरिअल के लोग भले ही पल्ला झाड़ ले और मार्केटिंग वालों की तरफ इशारा करके हम पर ठहाके लगाएं लेकिन दर्शक के लिए वो उसी तरह की टीवी सामग्री है जैसे उनकी तथाकथित सरोकारी पत्रकारिता. उस पर पड़नेवाला असर भी वैसा ही है..अलग-अलग नहीं. आप दो सरोकारी खबरे दिखाकर दस चुलबुल पांडे हीरो उतारेंगे तो असर किसका ज्यादा ये कोई भी आसानी से समझ सकता है. ऐसे में सवाल सरोकारी खबरों की संख्या गिनाकर नेताओं की तरह दलील पेश करने का नहीं है, सवाल है कि आप जिस सांस्कृति परिवेश को रच रहे हैं क्या उसे संवेदनशील समाज का नमूना कहा जा सकता है..क्या आपके हिसाब से स्त्री देह को रौंदने,छेड़ने,मजे लेने की सामग्री के बजाय एक अनुभूति और तरल मानवीय संबंधों की तरफ बढ़ने की खूबसूरत गुंजाईश भी है. अस्मिता और पहचान की इकाई भी है ? आप जो इसके जरिए फोर प्ले की वर्कशॉप चला रहे हैं, उससे अलग तरीके से भी समाज सोचता है ? ये कौन सा उत्तर-आधुनिक मानवीकरण है जहां गाड़ी से लेकर थर्मॉकॉट तक स्त्री देह होने का आभास कराते हैं और जिसके पीछे मर्द दिमाग पिल पड़ता है ? माफ कीजिएगा, इस सहजता के साथ अगर आप काम कर रहे होते तो आप खुद भी कटघरे में खड़े नजर नहीं आते ?

3. इस कड़कड़ाती ठंड में भी क्या आप सचमुच इतनी गर्मी चाहते हैं कि आपके आगे नेहा,स्नेहा सहित पीले स्कार्फवाली प्रिया, ट्रेडमिलवाली त्रिशा, प्रीति,स्वीटी, पोल्का डॉट अम्ब्रेलावाली अनन्या और लेबेंडर लैपटॉप वाली अनन्या सब इसके आगे स्वाहा हो जाए. आप इन सभी लड़कियों की तस्वीरें देखिए…हमारे आसपास हजारों-लाखों ऐसी ही लड़कियां. मां-बाप जब अपनी बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने के सपने देखते हैं तो इन्हीं सबों की छवि ध्यान में आते होंगे..जो पढ़ी-लिखी,आजाद, बहादुर होगी..इस विज्ञापन ने इन लड़कियों की छवि क्या बना दिया जो एक लंपट मर्द के आगे स्वाहा. आप करेंगे, गांधी की तरह मैनचेस्टर कपड़े की जगह रुपा थर्माकॉट को आग लगा देंगे, विज्ञापन को तत्काल रोकने की मांग करेंगे या फिर उस टीवी की शीशा फोड़ देगे जिस पर इस विज्ञापन के ठीक बाद गैंग रेप पर जोरदार बहस होगी ? (विनीत कुमार के फेसबुक वॉल से )

सोशल मीडिया पर मीडिया खबर

665,311FansLike
4,058FollowersFollow
3,000SubscribersSubscribe

नयी ख़बरें

सोशल मीडिया पर फर्जी खबरों से निपटने को संसदीय पैनल की...

नई दिल्ली: संसदीय स्थायी समिति ने फर्जी खबरों को लोकतंत्र और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए "गंभीर खतरा" बताते हुए इसके खिलाफ कड़े उपाय अपनाने...