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न्यूज एक्सप्रेस का एक और स्टिंग ऑपरेशन… 'ऑपरेशन रेल'

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न्यूज एक्सप्रेस ने एक बार फिर भारतीय रेल की कलई खोली है। हमने खुलासा किया है कि रेलवे कैसे मुसाफिरों की सुरक्षा और सुविधा के नाम पर उनके साथ गंदा मजाक कर रहा है।

हमारे खोजी पत्रकार आयुष पंडित और प्रशांत यादव ने इस दौरान राजधानी और शताब्दी के सुपरवाइजरों और ड्राइवरों समेत 8-10 रेलवे कर्मचारियों से बात की जिसमें रेलवे कर्मचारियों ने खुलासा किया कि… रेलवे में चीन के बने घटिया सामान इस्तेमाल किए जा रहे हैं…

रेल कर्मचारियों ने हमें बताया कि कोहरे के दौरान रेलगाड़ियों में एंटी फॉग डिवाइस और जीपीएस सिस्टम काम नहीं करता… और रेलवे में कमीशनखोरी होती है. रेलवे ड्राइवरों ने बताया कि वे 12 से 14 घंटों तक काम करते हैं जबकि नियम के मुताबिक उनकी ड्यूटी 8-10 घंटे की होती है।

हमारे इस स्टिंग ऑपरेशन में रेलवे कर्मचारियों के खुलासे ने रेलवे अधिकारियों के उन दावों की हवा निकाल दी है जिसमें रेलवे अधिकारी ये दावा कर रहे थे कि कोहरे से निपटने के लिए रेलवे के पास आधुनिक उपकरण मौजूद हैं और यात्रियों को असुविधा से बचाने के लिए रेलवे अपनी ओर से पूरी तरह तैयार है।

अंजना कश्यप मामले में आजतक ने अबतक क्या किया?

anjana-kashyapआजतक चैनल की एंकर/संवाददाता अंजना ओम कश्यप के साथ छेड़खानी की घटना के पन्द्रह दिन से ज्यादा होने को है. ज्ञात हो कि 16 दिसंबर की रात जब दिल्ली में रात के करीब साढ़े नौ बजे दामिनी के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना हुई, उसके कुछ घंटे बाद टीवी टुडे नेटवर्क ने अपने दस महिला रिपोर्टरों को दिल्ली के अलग-अलग हिस्से में ये जानने के लिए कि दिल्ली में स्त्रियां कितनी सुरक्षित है और सुरक्षा के किस स्तर के इंतजाम हैं,भेजा. इसी कड़ी में रात के करीब साढ़े ग्यारह बजे एम्स फ्लाईओवर के पास से अंजना ओम कश्यप रिपोर्टिंग कर रही थी कि कार में सवार कुछ मनचले आए और उनसे पूछा- चलना है ? अंजना ओम कश्यप ने पलटकर पूछा- कहां और तभी मनचलों ने देखा कि पास ही कैमरा है तो कैमरा,कैमरा चिल्लाते हुए भाग खड़े हुए.

गाँव के घूरा पर भी सुधीर चौधरी स्वाहा !

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मुजफ्फरपुर (बिहार). बदनाम हुए तो क्या नाम तो हुआ. ज़ी न्यूज़ के संपादक सुधीर चौधरी यक़ीनन इस कहावत पर विश्वास करते होंगे और संभवतः इसीलिए इसे अपने पत्रकारिता जीवन का स्वर्ण काल मान कर चल रहे होंगे.

हाल के दिनों में ऐसी चर्चा किसी पत्रकार, संपादक या मीडिया से जुड़े आदमी की नहीं हुई होगी जितनी सुधीर चौधरी की हुई. ये बात अलग है कि ऐसी चर्चा पर पर कोई गर्व नहीं कर सकता.

बहरहाल खबरिया चैनलों के माध्यम से सुधीर चौधरी और उनकी उगाही कथा महानगरों और छोटे शहरों से होते हुए गाँवों तक पहुँच गयी है और लोग घूरा पर इसकी चर्चा करने लगे हैं.

घूरा का मतलब नहीं समझे. मतलब गाँव के जीवन से आप वाकिफ नहीं है. गाँव से ताल्लुक रखने वाले घूरा का मतलब समझते होंगे. घूरा तापना गाँव में बहुत आम शब्द है और कंपकंपाती ठंढ में भी गप्पबाजी का अड्डा. शहर वाले इस घूरा को अलाव कह सकते हैं.

पुण्य प्रसून बाजपेयी के ज्ञान को पचा पायेगा इंडिया न्यूज़?

खबर पर यकीन नहीं लेकिन न्यूज़ इंडस्ट्री में चारो तरफ चर्चा है कि पुण्य प्रसून बाजपेयी इंडिया न्यूज़ जैसे दोयम दर्जे के चैनल के रथ पर सवार होंगे. वैसे खबर है कि चैनल सुधरेगा. उसमें कोई बड़ा निवेशक भी निवेश करेगा. शायद इसलिए दीपक चौरसिया जैसा बड़ा चेहरा भी चैनल के साथ जुड़ चुके हैं और अब शायद इंडिया न्यूज़ को दिशा भी वही प्रदान करेंगे. यानी इंडिया न्यूज़ के सारथी बनेंगे. लेकिन इस सारथी के साथ जिस योद्धा पुण्य प्रसून बाजपेयी का नाम लिया जा रहा है, वह चौकाने वाला और अविश्वसनीय है.

एक्सचेंज फॉर मीडिया ने भी पुण्य प्रसून बाजपेयी के इंडिया न्यूज़ जाने की बात को हवा देते हुए लिखा कि, ‘Industry sources revealed that Punya Prasoon Bajpai of Zee News also plans to join India News. However, no confirmation could be received from Bajpai at the time of filing the report.

मनु शर्मा तुम जीत गए, नो वन किल्ड मीडिया !

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न्यूज़ चैनलों की जब भी आलोचना होती है तो अपने बचाव में न्यूज़ चैनलों के संपादक कुछ सकरात्मक कार्यों का उल्लेख करते हैं तो उसमें जेसिका लाल हत्याकांड को जरूर गिनाया जाता है. सच भी है कि यदि मीडिया और खासकर न्यूज़ चैनलों ने जेसिका लाल हत्याकांड को प्रमुखता से नहीं उठाया होता तो संभवतः कातिल मनु शर्मा अब भी खुल्ले में घूम कर न जाने कितनी जेसिकाओं को अपना शिकार बना रहा होता.


लेकिन मीडिया के इस मुहिम से मनु शर्मा का परिवार इस कदर भन्नाया कि पत्रकारों और मीडिया को ही सबक सिखाने और अपने जूते तले मसलने के लिए मीडिया के धंधे में ही कूद पड़ा. पैसों के अथाह समुन्द्र से कुछ बूंदे खर्चकर मनु शर्मा का परिवार मीडिया इंडस्ट्री में इंडिया न्यूज़ समाचार चैनल के जरिये घुस गया और माननीय पत्रकारों समेत पत्रकारों की एक बड़ी फ़ौज वहां चाकरी करने लगी.

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