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जी न्यूज़ पर चश्मदीद का इंटरव्यू, मीडिया ट्रायल का नमूना

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जी न्यूज पर दामिनी के साथी और रेप की घटना के एक मात्र चश्मदीद को स्टूडियो में बैठा कर इंटरव्यू करना कुछ और नहीं मीडिया ट्रायल है। उसकी हिफाजत और कानून की जरा भी परवाह किये बगैर जी न्यूज के विवादित संपादक ने साक्षात्कार को इस कदर प्रस्तुत किया कि सबसे बड़ा दुख संपादक जी को ही है। उसे सीधे स्टूडिय़ो में बैठाकर बात करना शायद उसकी जिन्दगी के लिए भी खतरा हो सकता है।

रही बात एथिक्स की तो मीडिया ने कानून खुद ही तोड़ डाला। उससे बात करने का तरीका कुछ और भी हो सकता था। जैसे ऑफ लाईन उसका साक्षात्कार किया जाता और उसके चेहरे को बलर कर दिया जाता। ऐसा करने में भी वही बात होती जो जी न्यूज ने की।

लेकिन छाती ठोक कर खुद को बार-बार संजिदा और समाज के प्रति जिम्मेदार कहने वाला जी न्यूज वो कर गया जिसे मीडिया ट्रायल अर्थात न्यायालय समान भूमिका कहते है।

ऐसा नहीं है ये एकाएक हुआ है। ये सब जानते हैं कि क्या हुआ है और ऊपर से ‘बयान’ शब्द का प्रयोग जो केवल पुलिसिया या न्यायिक प्रक्रिया में होता है।

मी़डिया कोई नहीं होता किसी विचाराधीन मामलें मे किसी चश्मदीद का बयान लेने वाला। ये मीडिया का पुलिस तथा न्यायालय बन जाना है। क्या मानते हैं आप?

( Neeraj Karan Singh के फेसबुक वॉल से )

 

नोएडा रेप मामले में मीडिया की मुस्तैदी

नोएडा रेप मामले में मीडिया की मुस्तैदी शानदार उदाहरण है कि कैसे पत्रकारों की कार्यकुशलता और तत्परता से पुलिस और प्रशासन कार्रवाई करने को मजबूर होता है…

काश इज्जतनगर से लेकर इम्फ़ाल तक में होने वाले रेप के मामलों को हमारा तथाकथित नेशनल मीडिया गंभीरता से लेता…काश सीतापुर के पास किसी गांव और बेगूसराय के पास की बस्ती में होने वाले बलात्कारों को लो प्रोफाइल कह कर न गिरा देता…

ख़ैर अभी आंदोलन को लानत भेजने और अपनी पीठ थपथपाने का वक़्त है…प्रोफेशनल और असंवेदनशील मीडिया सोनी सोरी का नाम भी लेना गवारा नहीं करता लेकिन हां दिल्ली में लाठियां खाने वाले आंदोलनकारियों को प्रोफेश्नल ज़रूर मानता है…

अच्छा है, मौका है, निकाल लीजिए खुन्नस…खत्म कर लीजिए कुंठा…हिसाब मांगा जाएगा आप से भी दंतेवाड़ा…कालाहांडी…बस्तर…बुंदेलखंड…सीतापुर…मिर्चपुर…मिदनापुर…सब जगहों का…

तब न्यूज़रूम में स्टोरी को लो प्रोफाइल कहने वालों की झुकी हुई आंखों और तमतमाते चेहरों को भी देखा जाएगा.

(मयंक सक्सेना के फेसबुक वॉल से)

14 वां आचार्य निरंजननाथ सम्मान समारोह संपन्न

राजसमन्द। आज साहित्य और राजनीति के संबंधों को पुनर्परिभाषित करने की जरूरत आ गई है। जहां साहित्य संस्कृति का सबसे बड़ा प्रतिनिधि है वहीं राजनीति संस्कृति का नुक्सान किये बगैर आगे नहीं बढ़ती। पतनशीलता के ऐसे दौर में अभिधा से काम चल ही नहीं सकता। इसीलिए जब शब्द कम पड़ने लगते हैं तब शब्दों को मारना पड़ता है ताकि नए शब्द जन्म ले सकें। उक्त विचार अणुव्रत विश्व भारती राजसमन्द में पुरस्कृत साहित्यकार असग़र वजाहत ने आचार्य निरंजननाथ स्मृति सेवा संस्थान तथा साहित्यिक पत्रिका ‘संबोधन’ द्वारा आयोजित अखिल भारतीय सम्मान समारोह में व्यक्त किये।

संवेदनशीलता पत्रकारिता का प्राण है: मनोज श्रीवास्तव

हमें संवेदना पांच ज्ञानेंद्रियों से प्राप्त होती है और हर गतिविधि की प्रेरणा संवेदना से मिलती है. पत्रकार भी संवेदना के आधार पर ही काम करते हैं. संवेदनशीलता पत्रकारिता का प्राण है. यह उद्गार मौर्य टीवी के झारखंड हेड मनोज श्रीवास्तव के हैं, जो गिरिडीह झंडा मैदान में अभिव्यक्ति फाउंडेशन के तत्वावधान में पुस्तक मेले में आयोजित ‘मीडिया और संवेदनशीलता’ विषयक परिचर्चा में व्यक्त कर रहे थे.

श्रीवास्तव ने संवेदना, संवेदनशीलता और पत्रकारिता पर विस्तार से चर्चा की और कहा कि मीडिया अब नयी-नयी टेक्नोलॉजी की ओर मुखातिब होने लगा है, जिसका हिस्सा अब एक आम आदमी भी होता जा रहा है. लोगों का अब मीडिया से सीधा जुड़ाव हो गया है और यह जुड़ाव इंटरनेट के माध्यम से हो रहा है. लोगों के हाथ में नयी-नयी टेक्नोलॉजी के मोबाइल, टैब आते जा रहे हैं, जो पल-पल की खबरें ब्रेक कर रहे हैं. इसलिए आने वाले समय में हर लोग पत्रकार होंगे.

क्रॉस फायर के एडिटर राकेश सिन्हा ने कहा, मीडिया संवेदनशील है. संवेदनशीलता की वजह से ही दिल्ली में दामिनी रेपकांड ने देश को उद्वेलित कर दिया और रेप जैसे मुद्दे पर बहसें हो रही हैं, नया कानून बनाने पर बात चल रही है. पत्रकार अरविंद कुमार ने कहा कि हम पत्रकारों को सिर्फ खबरें ही नहीं बनानी चाहिए, बल्कि सामाजिक सरोकार रखते हुए गरीब, जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए. कुमार ने पत्रकारों की ओर से गरीबों, जरूरतमंदों को की गयी कई मदद का उदाहरण भी पेश किया. पत्रकार विस्मय अलंकार, चुन्नूकांत व अमित राजा ने भी संवेदनशीलता पर अपनी बातें रखीं. परिचर्चा का संचालन पत्रकार आलोक रंजन कर रहे थे.

मौके पर तीन पुस्तकों दीपक वर्मा लिखित ‘लव लाइफ एंड ऑल द डॉटस’, डॉ रूपाश्री मौलिक खेतान लिखित ‘राजेंद्र यादव के उपन्यासों में नारी’, साप्ताहिक पत्रिका ‘सब का न्यूज एक्सप्रेस’ एवं हरिहर प्रसाद सिंह लिखित ‘सामाजिक जहर’ का विमोचन किया गया.

सुधीर चौधरी का कलंक धोने आया दामिनी का बॉयफ्रेंड !

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जी न्यूज के संपादक सुधीर चौधरी ब्लेकमेलिंग प्रकरण में अभी – अभी जेल की हवा खा कर आये हैं और आजकल फिर सुर्ख़ियों में हैं. लेकिन इस बार वजह कुछ और है. आते ही स्क्रीन पर एक धमाका किया है (ऐसा जी न्यूज और सुधीर चौधरी समझते हैं). धमाका ये हुआ कि सामुहिक दुष्कर्म की शिकार होकर अपनी जान गँवा चुकी दामिनी (काल्पनिक नाम) के बॉयफ्रेंड का इंटरव्यू जी न्यूज पर सुधीर चौधरी ने एक्सक्लूसिव की पट्टी के साथ दिखा दिया.

जी न्यूज से पह्ले किसी भी न्यूज़ चैनल पर इस लड़के का इंटरव्यू या बाईट तक प्रसारित नहीं हुआ था. ऐसा नहीं था कि दूसरे चैनल इस लड़के का इंटरव्यू नहीं ले सकते थे. लेकिन दिल्ली पुलिस के निर्देश, आईबी मिनिस्ट्री की एडवाइजरी और नैतिक दवाब के चलते दामिनी के बॉयफ्रेंड का इंटरव्यू बाकी चैनलों ने करने की कोशिश नहीं की और थाली में परोसकर बॉयफ्रेंड का इंटरव्यू लेने के लिए जी न्यूज़ के सुधीर चौधरी के लिए छोड़ दिया.

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