आउटलुक के 135 मीडियाकर्मी छंटनी के शिकार, प्रवचन करनेवाले मीडिया महारथी कुछ बोलेंगे?

outlook closedबड़ी खबर : आउटलुक पत्रिका से एक बड़ी पर बेहद बुरी खबर आ रही है. सूत्रों के मुताबिक आउटलुक पत्रिका के तक़रीबन 135 मीडियाकर्मी एक झटके में सड़क पर आ गए हैं. यानी मंदी अभी आया नहीं, पत्रकारों पर गाज गिरनी शुरू हो गयी.

यह सभी छंटनी आउटलुक ग्रुप की तीन पत्रिकाओं पीपल,जियो और मैरी क्लेयरी में से की गयी है. खास बात है कि ये सब अंग्रेजी माध्यम की पत्रिका है.

छंटनी के वास्तविक कारणों का अभी तक पता नहीं चला है. लेकिन वित्तीय कारणों से ही ऐसा किया गया है इसमें कोई शक नहीं.

पर चुभने वाली बात है कि यह सब अचानक किया गया और निकाले गए पत्रकारों को संभवतः नोटिस भी नहीं दिया गया. सूत्रों के मुताबिक आउटलुक में माहौल गमगीन है और वहां काम करनेवाले मीडियाकर्मियों के आँखों में आँसू हैं.

इधर आउटलुक के जिन लोगों को 1-2 तक सैलरी मिल जाती थी. आज 26 तारीख होने पर कुछ अता पता नहीं.

इसी मुद्दे पर मीडिया विश्लेषक विनीत कुमार अपने एफबी वॉल पर लिखते हैं :

विनीत कुमार

1. आउटलुक समूह के करीब 135 मीडियाकर्मी रातोंरात सड़क पर. इस समूह ने अपनी तीन पत्रिका- पीपल,जियो और मैरी क्लेयरी बंद कर दिया. अब इन मीडियाकर्मियों का क्या होगा, समूह ने ऐसा क्यों किया, इतने स्थापित संस्थान ने जब ऐसा किया तो बाकी चीटफंट और कुकुरमुत्ते की तरह उग आए संस्थान का क्या भविष्य है, ये सब सोचनेवाली बात है. क्या इसे लेकर मीडिया एथिक्स और सेल्फ रेगुलेशन पर प्रवचन करनेवाले मीडिया महारथी कुछ बोलेंगे ?

2.मिल मजदूरों की छंटनी,हड़ताल और आंदोलन पर हिन्दी सिनेमा में न कवेल दर्जनों फिल्में बनी है बल्कि पूरा का पूरा एक दौर इसमे खपा दिया गया है. अब कार्पोरेट मीडिया के भीतर माइक-कलमधारियों की छंटनी हो रही है और चकाचक जिंदगी की पटरी से उतरकर रातोंरात सड़क पर आ जा रहे हैं, इस पर कोई बननी चाहिए कि नहीं ?

3.पिछले दिनों दैनिक भास्कर ने अपने यहां छंटनी की और जबरदस्ती मीडियाकर्मियों से इस्तीफा देने का दवाब बनाया. उसके कुछ दिनों बाद मीडिया इन्डस्ट्री में हल्ला हुआ कि यहां भारी पैमाने पर भर्ती हो रही है. एक तरफ रातोंरात लोगों को सड़क पर लाने का काम और दूसरी तरफ भारी पैमाने पर अवसर होने की खबर..क्या मीडिया इन्डस्ट्री के भीतर की बर्बरता इसी तरह चलती रहेगी और हमारे महंत पत्रकार इसी तरह जूरी के सदस्य बनकर पत्रकार के बजाय अखबार मालिक को सम्मानित करते रहेंगे. महंतों ने पूछा नहीं भास्कर से कि आपने ऐसा क्यों किया ? मीडिया इन्डस्ट्री दुनियाभर के लोगों से जितनी नैतिकता और मानवता की बात करता है, वो खुद उतना ही अनैतिक और क्रूर है.

4.जिस समय जेट एयरवेज में छंटनी हुई थी, पूरा मीडिया और चैनल इस खबर से पाट दिया गया था. तीन दिन के भीतर मालिक ने सबको वापस काम पर रख लिया. उसी दौरान आपसी कलह के कारण व्आइस ऑफ इंडिया पर ताला पड़ गया ने जेट एयरवेज से दुगने मीडियाकर्मी रातोंरात सड़क पर आ गए, एक मीडियाकर्मी पीछे के दरवाजे से घर घुसता था कि कहीं दूधवाला देखकर पैसे न मांग ले..लेकिन इस बड़ी खबर पर एक लाइन भी कहीं स्टोरी नहीं चली और उसकी मार आज भी कई लोग झेल रहे हैं. ये जो पिछले दिनों रुपये के भाव गिरने की खबर चाय की चुसकियों के साथ इन्होंने चटखारे लेकर बनाए न, अब मंदी की मार मीडियाकर्मियों पर पड़नी शुरु हो गई है..अभी जल्द ही देखिएगा फेस द नेशनवाले कैसे फेस कराते हैं अपने मीडियाकर्मियों को.

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