उत्तरप्रदेश चुनाव में जो प्रचार के दौरान गधों को ले आए थे, वे ख़ुद ऐसे ग़ायब हो गए हैं जैसे गधे के सिर से सींग। राहुल और अखिलेश दोनों को अपनी पार्टी नए सिरे से खड़ी करनी चाहिए। येचुरी, नीतीश – भले उनका स्वर अभी जुदा लगे – और अन्य विपक्षी नेताओं को जमा कर कुछ मुद्दों पर सहमति बनानी चाहिए। सांप्रदायिकता अब ज़्यादा उग्र होकर सर उठाने वाली है।
कांग्रेस के बारे में कल राजदीप से बातचीत में संदीप दीक्षित ने बहुत साफ़ कहा कि कांग्रेस को ज़मींदारी और सामंती शैली से बाहर निकलना होगा। कांग्रेसी सत्ता के मोह में अनवरत चापलूसी करते हैं, सिर्फ़ चुनाव के गिर्द जनता के बीच जाते हैं, उनकी जड़ें खोखली होती जा रही हैं। कमज़ोर विपक्ष – चाहे किसी भी पार्टी का हो – सत्ताधारी को निरंकुश बना देता है। जो पहले से निरंकुश प्रवृत्ति के हैं, उन्हें अधिनायक।