ओम थानवी,संपादक,जनसत्ता
दूरदर्शन वाले अब हमें नहीं बुलाते। दो-ढाई महीने से। हालांकि यह मत सोचिएगा कि मुझे उनकी याद सता रही है; जाता था तब भी उन्हीं की गरज पूरी करता था। तीन-चार चैनल अब भी रोज बुलाते हैं; रोज तो नहीं पर जब-तब किसी चैनल पर हो आता हूँ अगर उस शाम कहीं नाटक, सिनेमा, भोज, समारोह आदि में न जाना हो। यानी अपनी सुविधा से।
पता चला है कि एक-दो मित्र और हैं जिन्हें पहले हर दूसरे दिन दूरदर्शन के समाचार विभाग से विचार-विमर्श के लिए बुलावा आता था। अब उनकी भी जरूरत वहां सिरे से गैर-जरूरी हो चली है। यानी वे भी काली सूची में दर्ज हुए!
मोदी सरकार आलोचकों से डरती है क्या?
या वे सोचते हैं देर-सबेर हम भी तस्लीम की खू डालेंगे?
(स्रोत-एफबी)
Om thanvi ji ke papi pet ka saval hai. Inhe modijike khilap bolne ke hi salary milati hai.