हिमांशु वाजपेयी
हिन्दी अख़बारों के समाचार लेखन का एक नमूना देखिए- शनिवार को लखनऊ में नवाब वाजिद अली शाह पर एक सेमिनार हुआ.एक हिन्दी अखबार लिखता है कि सेमिनार में प्रो. साबिरा हबीब ने बताया कि वाजिद अली शाह ने 105 किताबें लिखीं. दूसरा अख़बार लिखता है कि प्रो. साबिरा हबीब ने बताया कि नवाब ने 117 किताबें लिखीं. तीसरा अख़बार कहता है कि साबिरा हबीब ने बताया कि नवाब ने 126 किताबें लिखीं… एक ही वक्ता एक ही वक्तव्य में अलग अलग संख्या कैसे बता सकता है मालिक ?
Sanjaya Kumar Singh जी कहीं ऐसा तो नहीं कि प्रो. साबिरा हबीब ने यही कहा हो और रिपोर्टर ने अपने हिसाब से संख्या 100 से ज्यादा बता दीं। और ज्यादा का मतलब किसी ने 5, किसी ने 17 और किसी ने 26 लगाया। वैसे मैं अब भी यही कहूंगा कि गलती आयोजकों की है – हिन्दी में विज्ञप्ति भेजनी चाहिए थी और उसकी सॉफ्ट कॉपी भी भेजी जानी चाहिए। सही खबर देने का पूरा ठेका अखबार वालों का थोड़े है।
Uttam Singh मैं इस सेमिनार में ख़ुद मौजूद था और प्रोफ़ेसर साबिरा हबीब ने नवाब वाजिद अली शाह की कुल किताबों की तादाद 117 ही बताई थीं. एक अन्य वक्ता ने ‘ऑन रिकॉर्ड’ कुल किताबें 105 बतायीं लेकिन 126 तो किसी ने भी नहीं बतायीं. और जहां तक रिपोर्टिंग की गुणवत्ता का सवाल है, आप बेहतर जानते हैं.
(स्रोत-एफबी)