हिंदी समाचार चैनलों से यह आम शिकायत रही है कि वे ख़बरों का वायदा कर खबरें नहीं दिखाते. भूत, प्रेत, ज्योतिष और मनोरंजन की ख़बरों के दायरे में घूमते रहते हैं. न्यूज़24 जैसे कई चैनल जो दर्शकों से न्यूज़ की भूख को शांत करने का वायदा करके खबरों की दुनिया में आये, वादाखिलाफी करते हुए मनोरंजन, ज्योतिष और भूत-प्रेत की ख़बरें दिखाकर चैनल की टीआरपी की भूख को शांत करने में लग गए. हालाँकि बढ़ते दवाब और ख़त्म होती साख की वजह से समाचार चैनलों के संपादकों के बीच हार्ड कोर ख़बरों को लेकर पिछले कुछ समय से सुगबुगाहट शुरू हुई है.
स्वनियंत्रण के उद्देश्य से न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग एसोसियेशन (एनबीए) और ब्रॉडकास्टर एडिटर्स एसोसियेशन जैसे संस्थान बनाये गए हैं जो समय – समय पर दिखावे के लिए ही सही कुछ निर्देश जारी करते रहे हैं. यह बात और है कि उन निर्देशों का पालन सभी चैनल नहीं करते.
बहरहाल खबरों को लेकर जो सुगबुगाहट शुरू हुई तो अब समाचार चैनलों पर कुछ खबरें भी दिखने लगी है. कुछ वक्त पहले बीईए के महासचिव और वरिष्ठ पत्रकार एन.के.सिंह का बयान आया कि भविष्यवाणी, भूत-प्रेत, भय, भभूत भारतीय न्यूज मीडिया से खत्म हो चुके हैं या जल्द ही खत्म होने जा रहे हैं. उनके इस कथन की पुष्टि आजतक, स्टार न्यूज़, आईबीएन-7 जैसे कई बड़े चैनलों ने खबरों की तरफ लौटने का इशारा कर किया. यहाँ तक कि खबरों के नाम पर मनोहर कहानियां दिखाने वाला इंडिया टीवी भी कहने लगा – सास, बहू का ड्रामा नहीं खबरें देखिये(सास- बहू का झूठा ड्रामा नहीं, 10 मिनट 30 खबर).
लब्बोलुआब यह रहा कि खबरों के दिखाने के फेर में एक नए ट्रेंड की शुरुआत हुई. कम समय में ज्यादा खबरें. फटाफट खबरें. सुपरफास्ट खबरें. 1 मिनट में 1 खबर. वैसे इस ट्रेंड की शुरुआत का श्रेय काफी हद तक स्टार न्यूज़ को जाता है. स्टार न्यूज़ ने सबसे पहले 24 घंटे 24 रिपोर्टर नाम से एक कार्यक्रम शुरू किया. यह कार्यक्रम बेहद सफल रहा और टीआरपी चार्ट में भी इसका प्रदर्शन शानदार रहा. गुणवत्ता के दृष्टिकोण से भी कार्यक्रम बहुत बढ़िया था. फिर क्या था, इसी तर्ज पर लगभग सारे न्यूज़ चैनलों पर खबरें पेश की जाने लगी. टीवी टुडे ग्रुप ने तो फटाफट और तेज खबरों के कंसेप्ट पर ‘तेज’ नाम से एक चैनल ही लॉन्च कर दिया.
यह पहला दौर था. अब दूसरा दौर शुरू हो चुका है जहाँ खबरें बुलेट की रफ़्तार से दिखाई जाती है. यहाँ खबरों के कंटेंट से अधिक महत्वपूर्ण होता है, खबरों की तेजी. कम समय में अधिक – से – अधिक खबरें. वर्ष 2010 के अगस्त महीने में न्यूज़24 पर न्यूज़ शतक नाम से एक कार्यक्रम प्रसारित होना शुरू हुआ. कम समय में अधिक खबरें दिखाने के मामले में न्यूज़ शतक ने तमाम चैनलों के कार्यक्रमों को पीछे छोड़ दिया. अबतक एक मिनट में एक खबर, 10 मिनट में 30 खबर या 5 मिनट में 25 खबरें या उससे कुछ अधिक खबरें दिखाई जाती थी. लेकिन न्यूज़ शतक कार्यक्रम में 15 मिनट में सौ खबरें दिखाया जाने लगा. न्यूज़24 के द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि – “खबरों की भूख मिटाने न्यूज 24 पर आ गया है न्यूज शतक. न्यूज24 का ये नया बुलेटिन देश विदेश से खंगालकर सौ सबसे अहम खबरें आपको दिखाएगा. न्यूज शतक दुनिया भर के न्यूज चैनलों के इतिहास में एक नया रिकॉर्ड है. अभी तक एक बुलेटिन में इतनी खबरें किसी भी चैनल ने नहीं दिखाईं. दूसरे चैनलों को 50 खबरें जुटाने में ही पसीना छूट जाता है.इस लिहाज से न्यूज 24 ने एक नया इतिहास रचा है.”
न्यूज़24 ने तेज खबरों के मामले में इतिहास जरूर रचा, लेकिन खबरों के इस कॉकटेल से दर्शकों को निश्चित रूप से पसीना आ गया होगा. 15 मिनट में सौ खबरों को पचाना आसान नहीं. वैसे खबरों के इस कॉकटेल में देश – विदेश की खबरों के अलावा मनोरंजन और चाट – मसाला टाईप की खबरों का तड़का भी खूब लगाया गया. खबरों की खानापूर्ति के नाम पर फालतू की खबरों को भी ठूंसा गया. पर यह तथ्य है कि टेलीविजन न्यूज़ इंडस्ट्री में चीजें टीआरपी ( टेलीविजन रेटिंग प्वाईंट ) से तय होती है. न्यूज़ शतक को ठीक – ठाक टीआरपी मिली. ऐसा ही मिलता – जुलता एक कार्यक्रम ‘नान स्टॉप 100’ नाम से बाद में आजतक पर भी शुरू हुआ. लेकिन इसी कड़ी में इंडिया टीवी पर शुरू हुए कार्यक्रम ‘सुपरफास्ट 200 ‘ ने कम समय में अधिक खबरों को दिखाने के सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए. अब 20 मिनट में 200 खबरें दिखाई जा रही है. न्यूज़24 के न्यूज़ शतक की तर्ज पर इंडिया टीवी, सुपरफास्ट 200 को दुनिया का सबसे तेज न्यूज़ शो कह कर प्रचारित कर रहा है जहाँ दर्शकों को सांस लेने की भी इजाजत नहीं. सुपरफास्ट 200 को पेश करने वाले एंकर शुरू में ही दर्शकों को लगभग हिदायत देने के अंदाज में कहते हैं – “खबरों को मिल रही है एक नयी रफ़्तार, सिर्फ 20 मिनट में 200 खबरें. पहली बार टीवी पर सबसे तेज न्यूज़ शो. साँसे थाम लीजिए क्योंकि एक भी सांस ली तो खबर निकल जायेगी.” मानों खबरें नहीं, खबरों की कोई आंधी हो और इस आंधी में बिचारे दर्शक उलझ कर रह गए हैं. लेकिन ज्यादा चिंता की बात ये है कि खबरों की इस आंधी में कहीं खबरें ही सिरे से न गायब हो जाए! (मूलतः इतिवार पत्रिका में प्रकाशित)