अभिषेक श्रीवास्तव:दर्शक की नज़र से
http://www.youtube.com/watch?v=2fsgriao4hU#t=282
करीब घंटा भर पहले हुई इस परिचर्चा में उर्मिलेश जी यूपीए सरकार के किए न्यूक्लियर सौदे व मल्टीब्रांड रीटेल में एफडीआइ पर सवाल उठा रहे थे और कांग्रेस की नाकामियां गिनवा रहे थे। अचानक इस वीडियो के 4:39 पर पहुंचते ही एक आवाज़ पीछे से आती है, ”ये कौन है यार… पीसीआर में इसको जा के बोलो थप्पड़ लगाए।”
यह तकनीकी दुर्घटना थी या जानबूझ कर ऐसा किया गया, इसे समझना हो तो 7:25 पर सतीश के.सिंह का उलझन में सिर खुजलाने के बाद विनोद कापड़ी से निजी संवाद देखें जिसमें वे कहते हैं, ”विनोद, लेकिन मुझे एक लाइन तो बोलना ही पड़ेगा, इन्होंने मेरे ऊपर टिप्पणी की है”, और फिर वे चंदन यादव को टोकते हुए उर्मिलेश जी को संबोधित करते हुए कहते हैं, ”मैं बार-बार यह कहना चाह रहा हूं कि जर्नलिस्ट को जजमेंटल नहीं होना चाहिए… आपकी राय हो सकती है लेकिन थोड़ा संतुलित रहना चाहिए…।”
ऐसे में तो कोई भी आत्मसम्मान वाला पत्रकार न्यूज़ एक्सप्रेस पर जाने से ही कल को परहेज़ करेगा।