राज्यसभा टीवी कुछ कहता क्यों नहीं ?
हिंदी समाचार चैनलों में नकलचेपी की पुरानी बीमारी है लेकिन नकलचेपी भी अकलमंदी और थोड़ी शर्म से की जाती है. आजतक भी स्टार न्यूज़ (अब एबीपी) की नकल करता है तो कम -से-कम सास-बहू और साज़िश की बजाए सास-बहू और बेटियां नाम रखता है. लेकिन कुछ संपादकों और संस्थाओं के आँख का पानी मर गया है. तभी तो वे ज्यों-का-त्यों नाम रख लेते हैं. मसलन न्यूज़24 पर अंजना कश्यप ‘दो टूक’ नाम से कार्यक्रम करती थी तो ETV पर इसी नाम से चौथी दुनिया के संपादक संतोष भारतीय का कार्यक्रम आने लगा. आश्चर्य होता है कि चैनल के साथ – साथ संपादक भी ऐसी नकलचेपी पर उफ़ तक नहीं करते.अब एक बार फिर से न्यूज़ एक्सप्रेस चैनल ने यही किया है और उसी पर मीडिया विश्लेषक विनीत कुमार टिप्पणी करते हैं –
टीवी के पुराने और अनुभवी चेहरों में न तो इतनी नैतिकता बची है, न ही इतनी गट्स कि ऐसा करने से मना कर दे और न ही इतनी क्रिएटिविटी ही कि कुछ अलग और नया सोच सकें.
कई चैनलों का अनुभव रखनेवाली और कभी ज़ी न्यूज़ की प्रभावशाली एंकर रही अल्का सक्सेना इन दिनों न्यूज़ एक्सप्रेस पर The Big Picture नाम से शो लेकर आ रहीं हैं.
अल्का सक्सेना वैसे तो टीवी की समझदार एंकर मानी जाती हैं लेकिन वो जिस नाम से शो लेकर आतीं हैं, कई महीने पहले से ही राज्य सभा टीवी पर इसी नाम से शो प्रसारित हो रहा है.
गिरीश निगम जिस गंभीरता और व्यवस्थित ढंग से परिचर्चा करते हैं,उनके आगे अल्का सक्सेना का शो बेहद हल्का है और प्रभावी भी नहीं.हाँ ये ज़रूर है कि वो लगातार दर्शकों के टिके रखने के लिए नाकाम कोशिश करती नज़र आतीं हैं.
खैर सवाल है कि क्या अल्का सक्सेना राज्य सभा टीवी का ये शो नहीं देखतीं या इस नाम के शो की जानकारी नहीं है? अगर है तो फिर इतनी नैतिकता तो बची रहनी चाहिए कि वो चैनल के आकाओं से दूसरे नाम का शो करने की बात रखे.
हम सब जानते हैं कि मीडिया किसी भी दूसरे धंधे से अलग धंधा नहीं है लेकिन धंधे का भी एक उसूल और तर्क होता है,एक ब्रांडिंग का तर्क होता है.कम से कम टायर,ट्यूब के धंधे की बेसिक शर्तें तो फॉलो करें..ऐसी नकलचेपी तो नकली चीजों के उत्पादन के साथ होती है.#मीडियामंडी