नेताओं की धुन पर नाचे पत्रकार

नेताओं की धुन पर नाचे कुछ पत्रकार
नेताओं की धुन पर नाचे कुछ पत्रकार

अज्ञात कुमार

नेताओं की धुन पर नाचे कुछ पत्रकार
नेताओं की धुन पर नाचे कुछ पत्रकार

नवी मुंबई. क्या दिन आ आ गये हैं पत्रकारों के भी, आज तक तो यही देखने में आता था कि पत्रकारों के इशारे पर नेताओं की बोलती बन्द हो जाती थी। पत्रकारों के तीखे तेवर देखते ही बहुत सारे नेताओं को अपने अच्छे बुरे काम याद आ जाते थे। पत्रकारों की तीखी समीक्षा से नेताओं को अपने कार्यों के दोषों का निवारण करना पड़ता था। पत्रकारों के याद दिलाने पर नेताओं को उनके भूले काम याद आ जाते थे। इन्हीं पत्रकारों की एक घुड़की पर प्रशासन के तमाम विभाग अपनी गलतियों को सुधारने में लग जाते थे। इन्हीं पत्रकारों द्वारा याद दिलाये जाने पर चुनाव आयोग भी मतदाताओं को उनके कर्तव्य की याद दिलाने का अभियान शुरू कर देता था….. पर अब लगता है कि पत्रकारों के कुछ समूह अपनी कलम और कैमरे को भूलकर चुनाव आयोग की भूमिका निभाते नजर आ रहे हैं। दुर्भाग्य से ये पत्रकार यह भूमिका भी जनता की नजर में कुछ फ्यूज हो चुके नेताओं के इशारे पर कर रहे हैं और इस तरह से वे इन नेताओं की उँगलियों पर नाच रहे हैं। आपको मेरी बात अभी तक समझ में न आई हो तो अब मैं खुलकर बता देता हूँ।

घटना है नवी मुंबई की। यहां के नवी मुंबई इलेक्ट्रानिक मीडिया, रिपोर्टर्स वेलफेयर असोसिएशन की तरफ से एक बाइक रैली का आयोजन किया गया था। इस रैली के लिए विषय रखा गया था “मतदान जनजागृति बाइक रैली” और इसके लिए आम जनता से आवाहन किया गया था कि “व्यक्ति, नेता, पार्टी का चुनाव आप खुद करिये पर ताकतवर लोकतंत्र के लिए मतदान अवश्य करिये। आपका मत, अमूल्य मत।” देखने में तो यह बहुत ही भावनात्मक आवाहन है जो देश व लोकतंत्र के हित में किया गया है पर इस आवाहन के पीछे की कहानी कुछ अलग ही है।

सूत्रों की मानें तो इस बाइक रैली का आयोजन शहर के एक बड़े नेता खुद करने वाले थे। पर उन्हें अपनी लोकप्रियता व अपने आवाहन की सफलता पर ही शक था। उन्हें लगा कि अगर वे इस रैली के आयोजक बनेंगे तो यह रैली फ्लॉप हो सकती है। इसलिए उन्होंने नवी मुंबई इलेक्ट्रानिक मीडिया, रिपोर्टर्स वेलफेयर असोसिएशन का सहारा लिया। उन नेता ने शहर के पत्रकारों के समूह से हटकर कुछ गिने चुने पत्रकारों के इस नए संगठन को निमंत्रक व आयोजक की भूमिका निभाने के लिये मना लिया या पटा लिया। अभी तक बिना किसी काम के खाली बैठे इस संगठन ने भी यह निमंत्रण स्वीकार कर लिया। इस तरह से इस बाइक रैली के आयोजन का कार्यक्रम किया गया। इस रैली में जींस पैंट व सफ़ेद टी शर्ट वाले ड्रेस कोड के साथ सभी दलों के नेताओं, कार्यकर्ताओं, लोकप्रतिनिधियों, क्रेडाई बिल्डर्स एसोसिएशन के सदस्यों व कर्मचारियों, नवी मुंबई स्पोर्ट्स असोसिएशन, नवी मुंबई वकील संघ, इंडियन मेडिकल असोसिएशन, नवी मुंबई रोटरी क्लब, सुपटीं काउंसिल नवी मुंबई गुरुद्वाराज, माथाड़ी हॉस्पिटल (ट्रस्ट), एमजीएम हॉस्पिटल, बैंक ऑफीसर्स समेत कई और विभिन्न सामाजिक संस्थाओं को इस रैली में शामिल होने का आवाहन किया गया था।

लेकिन शहर भर को न्योता देने के बावजूद यह रैली फेल ही रही। इस रैली के सह आयोजकों में नवी मुंबई मनपा, सिडको व पुलिस विभाग भी सहभागी थे। इसके बावजूद इस रैली में भीड़ जुटाना मुश्किल हो गया। यहां बात भीड़ जुटने या न जुटने की नहीं है। बात यह है कि कुछ पत्रकार शहर के कुछ फेल हो चुके नेताओं की चाकरी व चापलूसी के चक्कर में पत्रकारिता छोड़कर नेताओं के हिस्से का काम कर रहे हैं जो पत्रकारिता जैसे पवित्र पेशे पर कलंक साबित हो सकता है। अस्तु… अभी इतना ही. ।। जय हिंद ।।

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