एनडीटीवी वैसे तो बाकी न्यूज चैनलों से अलग होने का दावा करता हैं और कुछ हद तक इसे कायम रखने की कोशिश भी जारी हैं । पिछले कुछ सालों से चैनल कई समाजिक अभियान चला रहा हैं जिनमें ग्रिन-अर्थ, कोका कोला माई स्कूल और अब एनडीटीवी-टोयोटा यूसीसी का अभियान शुरु हुआ हैं जिसमें देश के नए क्रिकेटरों की तलाश यूनिवर्सिटी के छात्रों में से किये जाने का दावा किया जा रहा हैं । इस सारे अभियानों को सामाजिक बदलाव के नाम पर चलाया जा रहा है जिनमें पहली नजर मे कुछ गलत भी नहीं दिखता.
लेकिन अभी तक के सारे तथाकथित अभियानों के प्रायोजक, उनके ब्रांड एम्बेस्डर और कार्यक्रम में शामिल अतिथियों पर नजर डाले तो दिखता है. प्रणय रॉय भी अपने-आप को बाजार के अंधी गलियों मे भटका चुके हैं. साथ ही देश को भी अपनी पुराने साख के जरिए गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं ।
पिछले हफ्ते माई-स्कूल कैंपेन मे फिल्म अभिनेत्री चित्रागंदा सिंह किसी सरकारी स्कूल के बच्चों को पढाने आई थी. आपको बता दे कि चित्रागंदा अपनी हालिया रिलीज फिल्म इनकार के प्रोमोशन करने वहां गई थी. आप सोंचेंगे की इसमें गलत क्या है.
पहली बात चित्रांगदा जहां गई थी मेरे हिसाब से पहली बार वहां लोगों ने किसी महिला को वैसे कपड़ों मे देखा होगा. दूसरी बात जहां के शिक्षक अंग्रेजी बोलना नहीं जानते, वहां के बच्चों के बीच चिंत्रागंदा की अंग्रेजी गिटीर – पिटिर कितनी समझ में आया होगा ये भगवान जाने ।
स्कूल के बच्चों से ज्यादा कैमरे की निगाह चित्रागंदा के चेहरे और उनके ग्लैमर को दिखाने पर रहती थी. लगभग आधा प्रोग्राम देखने के बाद भी पता नहीं चल पाया कि ये कौन सा अभियान हैं ? हां प्रणय रॉय का अभियान जरुर सफल हो रहा है।
अब आते हैं रॉय साहब के नए और बड़े अभियान पर जहां टोयोटा कंपनी के साथ मिलकर वे देश का भविष्य ढूंढ रहे हैं. इस अभियान के ब्रांड एंबेस्डर दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेटर शाहरुख खान को बनाया गया है और इसके समर्थक शशि थरुर हैं। शाहरुख को क्रिकेटर मैं नहीं बल्कि एनडीटीवी मानता है तभी तो क्रिकेट का भविष्य ढूँढने का जिम्मा एक बॉलीवूड स्टार को दिया गया हैं और तारीफों के पुल बांधने के लिए शशि थरुर के पास शब्द कम पड़ गए । आपको याद होगा इसी क्रिकेट ने एक बार शशि थरुर की कुर्सी छीन ली थी. आज पता चला कि थरुर के साथ कितना गलत हुआ था । देश का एक मशहूर न्यूज चैनल किसी क्रिकेट अभियान के लिए उनको बतौर गेस्ट बुलाता हैं तो आपको समझने की जरुरत तो हैं । वैसे रॉय साहब के अभियान वाले इस नए फंडे से भले ही धरती का कल्याण ना हो. बाघों की संख्या ना बढे. भले ही बच्चों का भविष्य का ना सुधरे. लेकिन प्रायोजकों की रकम से एनडीटीवी का भविष्य जरुर सुधर रहा है. साथ हीं रॉय साहब का कल्याण भी हो रहा है।
क्या पता टोयोटा, शाहरुख, थरुर, और रॉय साहब मिलकर देश को दूसरा सचिन दे दे । वैसे यह फंडा सही है, आम के आम औऱ गुठलियों के दाम भी मिल रहे हैं. एक तो सामाजिक कार्य के नाम पर आईबी मिनीस्टरी के साथ मिलकर दर्शकों के बेवकूफ बनाया जा रहा है और धन के साथ, पुण्य फ्री मे मिल रहा हैं ।
(लेखक टेलीविजन पत्रकार हैं.)
अब समझ में आ गया कि अचानक जिस चैनल पर खबर नाममात्र की चलती हों और जिस पर एकमात्र रवीश का प्राइम टाइम ही आता हो उसे इतने ‘महान’लोग क्यों तवज्जो दे रहे हैं । शायद सरकार की चापलूसी के इतर भी कुछ धंधा बड़ा करने की प्लानिंग है।