- आलोचना : ख़बरों के अकाल में खबरनवीस कितने बेशर्म हो जाते हैं ये आज मैंने एनडीटीवी पर देखा |अब से थोड़ी देर पहले एनडीटीवी पर एक डाक्यूमेंट्री प्रसारित की गयी “सिंगरौली का शोक “जिसे चैनल के संवाददाता हृदयेश ने बनाया था |
आप यकीन नहीं करेंगे बकायदे पैसे देकर आदिवासियों को बैठकर कैमरे के सामने ओझाई कराई गयी और ये प्रचारित कर दिया गया कि आदिवासी डाक्टरों के पास नहीं जाते ओझाई कराते हैं और तो और बेहद प्रदूषित इस इलाके के सम्बन्ध में ये खबर प्रसारित कर दी गयी कि यहाँ के पत्रकार यहाँ के प्रदूषण के सम्बन्ध में नहीं लिखते |
अंत में रिपोर्ट में जान डालने के लिए सुनीता नारायणन का इंटरव्यू दिखा दिया गया |
इसके पहले ibn-7 ने हमारे यहाँ के एक किले को भूतों का किला बताकर एक खबर प्रसारित कर दी थी |बनारस में अतिक्रमण के नाम पर पटरी के दुकानदारों को जहर खिलाकर खबर बनाने वालों की कहानी आप जानते ही होंगे |
दरअसल इन चैनलों ने पत्रकारों के नाम पर खबर पैदा करने वाली मशीने गाड़ रखी है |ये जब नहीं तब जैसे नहीं तैसे ,जुगाडू तरीके से ख़बरें पैदा करते हैं और इसके लिए आम आदिवासी -गरीब का इस्तेमाल करते हैं |
(आवेश तिवारी के एफबी वॉल पर)
- प्रशंसा :
आज एनडीटीवी इंडिया चैनल ने सोनभद्र का शोक शीर्षक से दिल दहलाने वाला कार्यक्रम पेश किया है। इसे जरूर देखें।मेरी नजर में विकासमूलक टीवी पत्रकारिता का यह हाल के दौर में सबसे बढ़िया कार्यक्रम है।
(प्रो.जगदीश्वर चतुर्वेदी के एफबी वॉल से)
अरे इलाहाबाद में क्या हो रहा है। मुझे मेरे मित्रों ने बताया कि बड़े चैनल के लोग सोनिया राहुल का विरोध कराते हैं। कोयी हटंर वाला की खबर लिपिस्टिक का दाग बनवा कर चलाता है। अरे यहां तो आधुनिक राधा की बरात ही जी न्यूज ने निकलवा दी थी। स्टार का रिर्पोटर और सबसे तेज चैनल के साथ साफ सुथरी पत्रकारिता का दम भरने वाला एन डी टी वी के रिर्पोटर मात्र विरोध की ही रोटी खाते रहे है? जब पत्रकार नही कुकुरमुत्तों की फौज होगी तो यही होगा ही!