सुजीत ठमके
वैसे तो इस लोकसभा चुनाव में एनसीपी का हाल बुरा हुआ। मुंगेरीलाल के हसीन सपने देखने वाले एनसीपी के दिग्गज नेता बुरी तरह से हारे। राजनीति के माहिर खिलाड़ी एवं चाणक्य एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार को शायद हार के सुगबुगाट लगी थी इसीलिए उन्होंने भाजपा के पीएम पद के उमीदवार नरेंद्र मोदी से गुप्त मुलाक़ात की । जब मीडिया में खबरे उछली तब राष्ट्रवादी कांग्रेस नेताओ की किरकिरी हुई । यह तो हुई चुनाव की बात।
सतारा के सांसद उदयनराजे भोसले वैसे तो दबंग नेता है। सतारा में इनकी तूती बोलती है। भले ही जनकल्याण का काम उदयनराजे भोसले ने ना किये हो किन्तु चुनके आना इनके लिए बाए हाथ का खेल है। खुद को तो यह सांसद ग्रेट मराठा सम्राट शिवाजी महाराज के उत्तराधिकारी समझते है किन्तु इनके कार्य ग्रेट मराठा सम्राट शिवाजी महाराज के विचारधाराओ से एकदम विपरीत है।
सतारा यानी सांसद उदयनराजे भोसले का गढ़। उदयनराजे भोसले किसी भी पार्टी से चुनाव मैदान में उतरते भी है तो चुनके आना मतलब काले पत्थर की लकीर। उदयनराजे भोसले ने कई बार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुखिया शरद पवार के खिलाफ ताल ठोके किन्तु पवार ने उन्हें कभी बाहर का रास्ता नहीं दिखाया। १६ मई को जब चुनाव नतीजे आना शुरू हुआ तो भारी बहुमत से उदयन राजे ने बढ़त बनाई। लगभग साढ़े पांच लाखो वोटो से चुनाव जीता।
चुनाव जीतने के बाद टीवी चैनल्स के मीडियाकर्मी उदयनराजे भोसले के पास बाईट लेने पहुंचे। पत्रकारों ने सवाल दागा। आप को लगता है विपक्ष का उम्मीदवार काफी कमजोर था ? गौरतलब है दलित नेता रामदास आठवले गुट का उम्मीदवार यहाँ से खड़ा था। सांसद महाशय ने जवाब दिया- बदमाशो मुझे पता था तुम ऐसा सवाल पूछोगे। उदयनराजे भोसले एनसीपी के ऐसे सांसद है जिनके खिलाफ बड़े – बड़े पत्रकार, सम्पादक तक खबर छापने को डरते है। तो सतारा के टीवी चैनल्स के रिपोर्टर की क्या औकात जो उदयराजे भोसले के खिलाफ मोर्चा खोले।
सुजीत ठमके
पुणे- ४११००२