अरविंद केजरीवाल को नवजोत सिंह सिद्धू की आह लग जाएगी। बेचारे को राज्यसभा से इस्तीफा दिलवा दिया कि पंजाब में आम आदमी पार्टी का सीएम कैंडिडेट बनाएंगे और हाथ में थमा दिया लड्डू। नवजोत सिंह सिद्धू के साथ केजरीवाल ने जैसा किया इसका उादहरण आपको पूरे राजनीतिक इतिहास में नहीं मिलेगा। कहां बेचारे के मन में पंजाब का सीएम बनने के लिए लड्डू फूट रहे थे और कहां आज न घर के रहे न घाट के।
पिछली लोकसभा में अमृतसर क्षेत्र के मतदाता अपने प्रतिनिधि सिद्धू को पोस्टर लगा-लगा कर खोज रहे थे और भाग्य की बिडंवना देखिए कि अगले चुनाव में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो नाराज हो गए। आखिर, इसी पार्टी ने उन्हें सांसद बनाया था। और चुनाव बाद अपने वादे को निभाते हुए राज्यसभा का सदस्य भी बनाया, लेकिन सिद्धू की महत्वाकांक्षा ने उन्हें कहीं का नहीं छोड़ा। लोकसभा चुनाव के दौरान सिद्धू ने खुले तौर पर अरुण जेटली को हराने में भूमिका निभाई थी, ये सबको पता है। नरेंद्र मोदी की लहर के बावजूद अरुण जेटली चुनाव हार गए। हालांकि, मोदी ने उन्हें अपनी टीम में न सिर्फ शामिल किया, बल्कि वित्त मंत्री बनाया। इससे जेटली के प्रति मोदी के विश्वास को समझा जा सकता है।
अब सिद्धू साहब कॉमेडी शो करते-करते अपने दिमाग को भी वहीं रख आए थे तो हम आप क्या कर सकते हैं।
सिद्धू साहब को सोचना चाहिए कि ये वही केजरीवाल हैं जिनके पास दिल्ली में चुनाव से पहले शीला दीक्षित के खिलाफ कॉमनवेल्थ गेम में भ्रष्टाचार करने का 370 पेज का सबूत था और पहली बार कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाते ही गिरगिट की तरह पैंतरा बदलने में एक पल की देरी नहीं की। जब इनसे दिल्ली विधानसभा में शीला दीक्षित के खिलाफ भ्रष्टाचार के लिए केस करने की बात पूछी गई तो महाशय का जवाब था- आप सबूत लाओ हम केस करते हैं। कुछ दिनों के बाद जनाब दिल्ली की गद्दी को त्यागकर लोकसभा के चुनाव में बनारस पहुंच गए और वहां कम्युनिस्टों ने इनका दिल खोलकर स्वागत किया, लेकिन इन्हें मालूम नहीं था कि देश की जनता पहले ही मूड बना चुकी है।
इन सबके बावजूद दिल्ली की जनता ने इन्हें 67-3 से दोबारा गद्दी सौंपी थी। दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्र इनके झांसें में नहीं आए और वहां केजरीवाल के उम्मीदवारों को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था। ये स्थिति तब थी जब उम्मीदवारों ने केजरीवाल के फोटो का इस्तेमाल किया था।
लेकिन आदतन लाचार इस व्यक्ति ने दिल्ली में शराब कारोबारियों के हाथों खेलते रहने के बावजूद पंजाब में नशे के कारोबार और युवाओं की बर्बादी पर अपना सारा ध्यान लगा रखा है। इनके लिए नौटंकी से ज्यादा कुछ नहीं है।
(लेखक दैनिक भास्कर डॉट कॉम में कार्यरत हैं)
हरेश कुमार