आउटलुक का ये अंक अभी तक नहीं खरीदा है तो खरीदकर रख लीजिए

आउटलुक का ये अंक अभी तक नहीं खरीदा है तो खरीदकर रख लीजिए
आउटलुक का ये अंक अभी तक नहीं खरीदा है तो खरीदकर रख लीजिए

रॉबिन जेफ्री की किताब मोबाईल नेशन के बाद सबसे बेहतरीन कंटेंट

आउटलुक का ये अंक अभी तक नहीं खरीदा है तो खरीदकर रख लीजिए
आउटलुक का ये अंक अभी तक नहीं खरीदा है तो खरीदकर रख लीजिए
आपने अभी तक आउटलुक का ये अंक नहीं खरीदा है तो खरीदकर रख लीजिए. आउटलुक पत्रिका की जिस साल शुरुआत हुई थी, उसी साल हिन्दुस्तान में मोबाईल आया था. पत्रिका ने ये बेहतरीन काम किया कि अपने 19 साल को लेकर ढोल-मंजीरा बजाने के बजाय 19 साल में बनती-बदलती हिन्दुस्तान की दुनिया पर अलग-अलग एंगिल से बेहतरीन लेख, इंटरव्यू और फीचर प्रकाशित किए हैं..इस पत्रिका को अगर किताबी शक्ल दे दी जाए तो हर लाइब्रेरी के लिए एक जरूरी किताब होगी.

पत्रिका के अलग-अलग लेखों से गुजरते हुए हम बेहतर ढंग से समझ पाते हैं कि जो मोबाईल अपने शुरुआती दौर में बेहद जरूरी बात करने, ओहदे और स्टेटस सिंबल के रुप में समाज में इन्ट्री ली वो कैसे धीरे-धीरे उन तमाम ठिकानों में घुसता चला गया जिसके बारे में आप मोबाईल के बिना सोच भी नहीं सकते..ये हमारी समझ,शैली और रोजमर्रा की जिंदगी को बदलने के साथ-साथ पारंपरिक माध्यमों और पेशे को कैसे बदल रहा है, ये सब जानने के लिए इसे जरूर पढ़ा जानी चाहिए, आपकी सुविधा के लिए लेखों के शीर्षक और लेखक की सूची तस्वीर की शक्ल में चिपका दे रहा हूं ताकि आपको सुविधा हो.

स्रोत@फेसबुक

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.