मुस्लिम विहीन गांव को गोद लेकर मुलायम ने मोदी की राह पर चलने का लिया संकल्प-मो0 शुऐब
लखनऊ, 23 नवंबर, 2014। मुलायम सिहं यादव द्वारा आजमगढ़ के मुस्लिम आबादी विहीन तमौली गांव को गोद लिए जाने पर रिहाई मंच ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि मुलायम सिंह भी मोदी की राह पर चल रहे है। मंच ने आरोप लगाते हुए कहा कि आरएसएस के सर्वे के आधार पर मोदी ने जिस तरह से वाराणसी के मुस्लिम आबादी विहीन जयापुर गांव को गोद लिया ठीक उसी सर्वे पर मुलायम ने भी मुस्लिम विहीन आबादी वाले गांव को ही चुना।
रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा कि सपा मुखिया और आजमगढ़ से सांसद मुलायम सिंह यादव द्वारा सांसद आदर्श योजना के तहत गोद लिए गांव तमौली में कुल 3632 लोगों की आबादी है, लेकिन इसमें एक भी मुस्लिम परिवार नहीं रहता है। जबकि मुलायम सिंह यादव अपने को धर्मनिरपेक्ष और मुसलमानों के विकास के लिए समर्पित होने का दावा करते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों आए एक सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है कि भाजपा सांसदों ने संघ परिवार के सर्वे के आधार पर ऐसे ही गांव को गोद लिया है जिसमें मुस्लिम बिल्कुल नहीं हैं। ऐसे में मुलायम सिंह यादव द्वारा भी मुस्लिम विहीन गांव को गोद लेने से स्पष्ट हो जाता है कि मुलायम सिंह भी मोदी और आरएसएस की राह पर चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह को अब छुप कर संघ परिवार का एजंेडा लागू करने के बजाए संघ परिवार द्वारा मुस्लिम विहीन गावों के चयन वाले सर्वे को खुद जारी कर के एक बार में ही अपने धर्मनिरपेक्ष होने के भ्रम को तोड़ देना चाहिए।
मुस्लिम आबादी विहीन तमौली गांव को गोद लेने को मुलायम सिंह द्वारा अपने 75 वंे जन्मदिन पर संघ परिवार को तौफा देना बताते हुए रिहाई मंच आजमगढ़ के प्रभारी मसीहुद्दीन संजरी ने कहा कि मुलायम सिंह को जवाब देना चाहिए कि संघ परिवार के सर्वे पर गांव को गोद लेकर वो क्या आरएसएस के हिन्दू राष्ट्र की परिकल्पना जो मुसलमानों से उनके लोकतांत्रिक अधिकारों को छीन लेने और विकास की सरकारी योजनाओं से उन्हें अलग रखने की घोषणा करता है, उससे सहमत हैं। उन्होंने कहा कि मुस्लिम विहीन गांव को गोद लेकर मुलायम ने साबित कर दिया है कि वह अकारण ही आडवानी की तारीफ नहीं करते हैं और उनकी मंशा भी पूरी तरह से संघ परिवार के सांप्रदायिक एजेण्डे को लागू करना है। जिस तरह से मुलायम सिंह ने मुस्लिम आबादी विहीन गांव को चुना है, उससे साफ है कि अगर सपा अपने विकास का खाका पेश करेगी तो ऐसी अल्पसंख्यक विरोधी उसकी और बहुत से योजनाएं जनता के सामने आ जाएंगी और उसका रहा सहा पोल भी खुल जाएगा। सपा सरकार ने गांवों का कैसे विकास किया है उसे हम सबने मुजफ्फरनगर-शामली में हुई सांप्रदायिक हिंसा में देख चुके हैं जहां दर्जनों गांव से मुस्लिमों की आबादी को पलायन करना पड़ा है। क्योंकि उन्हें इस बात का पूरा भरोसा था कि सपा सरकार उनकी महिलाओं-बच्चों के जीवन की रक्षा नहीं कर सकती।
रिहाई मंच के नेता राजीव यादव ने कहा कि आजमगढ़ के जिस गांव तमौली को गोद लिया गया है वह आजमगढ़ शहर से मात्र पांच किलोमीटर दूर है और आजमगढ़ के सैकड़ों पिछड़े गांवों से ज्यादा विकसित है। गौरतलब है कि तमौली गांव कभी भी पिछड़ेपन के कारण चर्चा में नहीं रहा है बल्कि पिछले कुछ सालों में अपराधिक गतिविधियों से जुड़े कुछ लोगों के कथित एनकाउंटर के कारण सुर्खियों में रहा है। जिससे उपजे सपा सरकार के प्रति नाराजगी को संतुलित करने की यह कोशिश मात्र है। यानी विकास के नाम पर मुलायम सिंह आपाराधिक तत्वों के हितों को साधने का काम कर रहे हैं, जैसा कि उन्होंने सपा के शुरुआती दिनों में रमाकांत यादव, दुर्गा यादव, उमाकांत यादव, अंगद यादव जैसे आपराधिक छवि के नेताओं को सामाजिक न्याय के नाम पर पाला पोस कर किया था, जिसने रमाकांत जैसे साम्प्रदायिक तत्वों को जन्म दिया। जिसके चलते इस पूरे इलाके में आतंक का माहौल कायम हुआ जो जातीय और सांप्रदायिक तनाव में भी विकसित हुआ। उन्होंने कहा कि सपा के मुख्य जनाधार यादवों को समझ लेना चाहिए कि मुलायम तमौली गांव को विकास के लिए नहीं बल्कि अपनी जातीय आपराधिक राजनीति को साधने के लिए कर रहे हैं जिसका नुकसान उन्हें ही उठाना पड़ेगा।
द्वारा जारी-
शाहनवाज आलम
प्रवक्ता रिहाई मंच