मोदी और राहुलबाबा दोनों की अपनी अपनी यूएसपी है। मोदी के पास सकारात्मक यूएसपी है। तो राहुलबाबा के पास नकारात्मक यूएसपी। मोदी की विचारधारा को लेकर १०१ % नहीं १००१% मतभेद हो सकते है। किन्तु इसमें सभी की एक राय है की मोदी बेहतर कम्युनिकेटर है। ऑरटर है। आत्मविश्वास के लबरेज है। आइडियाज का भण्डार है। नई तकनीकी का भरपूर इस्तेमाल करते हैं। युवाओ का मूड बेहतर समझते है। प्रधानमंत्री रहते हुए भी संघटन को अहमियत देते है।
राहुलबाबा के पास नकारात्मक यूएसपी है। अधिकतर समय विदेश में बिताते है। संगठन के तरफ ध्यान नहीं है। आइडियाज नहीं है। बेहतर वक्ता नहीं है। युवाओ को संगठन से जोड़ने की कोशिश नहीं करते। तकनीक का इस्तमाल कम करते है। रोजगार की बात आती है तो राहुलबाबा बंधुआ मजदूर पैदा करने वाली स्कीम मनरेगा से आगे बात नहीं करते। पुरानी डफली बजाते है।
कोई कहेगा राहुलबाबा ने तो देश के लिए अपने खून के रिश्ते खोये है ?
नेहरू-गांधी परिवार से ताल्लुक रखते हैं। देश के लिए अपने पिता खोये है। लेकिन यह भावनात्मक राजनीति का एक पहलु है।
सुजीत ठमके
पुणे – ४११००२
(Source FB Wall)