बहुत सारे लोगों के मन में यह सवाल है कि मोदी के प्रिय व्यापारियों के पाकिस्तान में व्यावसायिक रिश्ते हैं जिसके कारण वे पाकिस्तान से रिश्ते सुधारकर रखना चाहते हैं। बात कुछ हद तक सही भी है। अडाणी चार हजार मेगावाट बिजली पाकिस्तान को बेचना चाहते हैं। सज्जन जिंदल कोयले और लोहे के कारोबार में किस्मत आजमाना चाहते हैं। लेकिन पाकिस्तान में किसी भारतीय व्यापारी का घुसना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है। इसलिए नहीं कि भारतीय कारोबारी वहां जाना नहीं चाहते, वे तो जाना चाहते हैं लेकिन वही पाकिस्तानी आवाम आने नहीं देना चाहती जिसकी गरीबी गुरबत का कोझिकोड में रोना रोया जा रहा था।
शरीफ परिवार के भारतीय कारोबारियों से करीबी रिश्ते हैं। खासकर अंबानी और जिंदल परिवार से। कहते हैं तख्ता पलट के वक्त धीरुभाई ने मुशर्ऱफ से कहकर नवाज शरीफ की जान बचाई थी। लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि पाकिस्तानी आवाम को भारतीय कारोबारी पंसद हैं। बिल्कुल नापसंद हैं। इतने नापसंद कि कुछ साल पहले शरीफ परिवार ने कुछ इंजीनियरों को चोरी छिपे पंजाब बुला लिया था। वे अपने रमजान शुगर मिल में खोई से चलनेवाला बिजली का कारखाना लगाना चाहते थे। मजबूरन इंजीनियर भारत से ही बुलाना था क्योंकि यहां सस्ते में इंजीनियर मिल जाते हैं और इस तकनीकि से भारत में बिजली बनायी भी जा रही है। नवाज शरीफ के बेटे ने चोरी छिपे उन्हें बुला तो लिया लेकिन आज तक इस बात को लेकर बवंडर मचा रहता है कि नवाज शरीफ रॉ के एजेण्ट को अपनी चीनी मिलों में बुलाकर रुकवाते हैं। कुछ नेताओं और मजहबी जमातों ने तो यहां तक आरोप लगा दिया कि जो रॉ का कथित एजंट कुलभूषण यादव जो बलोचिस्तान में पकड़ा गया था वह भी इन्हीं इंजीनियरों के साथ पाकिस्तान आया था।
पाकिस्तानी आवाम की नजर में हर कारोबारी रॉ का एजेण्ट है जो सिर्फ पाकिस्तान को नुकसान पहुंचाने के लिए वहां आना चाहता है। नफरत इतनी कि अगर उन्हें पता चल जाए कि यह प्रोडक्ट इंडिया में बना है तो वे कभी इस्तेमाल नहीं करेंगे क्योंकि वहां एक बड़े वर्ग ने भारत को अपनी तरफ से “इनेमी स्टेट” का दर्जा दे रखा है। तो महाराज भूल जाइये कि पाकिस्तानी आवाम आपकी मदद से अपनी गुरबत मिटाना चाहती है। अगर आपको यह भ्रम है तो इसका मतलब है कि अभी आप पाकिस्तान और उसकी आवाम को ठीक से समझ नहीं पाये हैं।
(पत्रकार संजय तिवारी के फेसबुक वॉल से)