शैलेश शर्मा
ये आज कल मीडिया का भाग्य कैसे बदल गया क्योंकि उसके आगोश में ऐसे -ऐसे नेता पनाह माँगने आ रहे है जिनका अक्सर मीडिया से ज़्यादा लेना -देना नहीं रहा जैसे राज़ ठाकरे ,नरेंद्र मोदी आदि। अब इस श्रंखला में सिर्फ एक नाम जुड़ना रह गया है और वो नाम है सुश्री मायावती का। लगता है उन्हें अभी मीडिया की वैसी आवश्यकता नहीं है है जैसी नरेंद्र मोदी और अन्य नेताओं को।
रही बात मोदी जी की तो वे जब भी मीडिया से विनम्र होकर बात करते है तो लगता है जैसे “बिल्ली चूहे को पुचकार रही हो कि जा बेटा जा आज मुझे भूख नहीं है “और जब राज ठाकरे का मीडिया साक्षात्कार लेता है तो लगता है कि जैसे “”गरीब निरीह जनता किसी साहूकार से पैसे की गुहार लगा रही है और साहूकार है कि गरीब जनता को दुत्कार रहा है ”
ये लोकतंत्र के बड़े अजीब रंग है लगता है जैसे देश की राज़नीति में एक अजीब सा खाली स्थान पैदा हो गया है और जिसे भरने के लिए जनता ऐसे नेताओं से मज़बूर है। बस इंतज़ार कीजिए 16 मई के बाद सारे नकाब उतर जाएंगे और तब देश की जनता सोचेगी कि “उसने क्या खोया और क्या पाया ”
(स्रोत-एफबी)