नदीम एस.अख्तर-
जिन लोगों को ये बात पचाने में मुश्किल हो रही है कि दिल्ली नगर निगम का चुनाव बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पे जीती है, उन्हें उनके हाल पे छोड़ दीजिए।
वरना क्या कारण था कि 10 वर्षों से भ्रष्टाचार और सड़ांध में डूबी एमसीडी और उस पे कब्जा जमाई बीजेपी की इस बार ज़मानत जब्त ना हो जाती।
ये सिर्फ मोदी जी का नाम था और उनकी ब्रैंड इमेज थी कि दिल्ली की जनता ने पिछला सारा गुनाह भुलाकर एक बार फिर एमसीडी बीजेपी को सौंप दी। वो भी स्वीपिंग विक्ट्री। सिर्फ एक बार के लिए इस अदना चुनाव (भाई लोग इसे टुटपुंजिया चुनाव कह रहे हैं) से मोदी जी का नाम हटाकर तसव्वुर करिए, बीजेपी का पत्ता साफ होता दिखेगा आपको।
सो ये मान लीजिए कि मोदीजी बीजेपी के लिए वोट मशीन बन गए हैं। मोदी नाम का कार्ड एटीएम में डाला नहीं कि वोटों की गद्दी दन्न से बाहर। आपकी विचारधारा जो भी हो, लेकिन इस मामले में सच्चाई से आंख चुराना सूरज पर थूकने के समान होगा।
बाकी अपनी-अपनी विचारधारा का चश्मा पहनकर आप लोग लगे रहिए। अरे! चुनाव, चुनाव होता है। देश का पीएम निगम चुनाव के लिए वोट मांगेगा तो उसकी इज़्ज़त घट जाएगी क्या? ये तो और अच्छी बात है। पंचायती राज में सत्ता का विकेंद्रीकरण ही तो हमारा लक्ष्य रहा है। देश का पीएम सबसे निचले पायदान पे पहुंच के लोगों से संवाद करे तो ये खुशी की बात होनी चाहिए या नाक भौं सिकोड़ने वाली चीज!!
हद है मोदी विरोध की। मतलब कुछ भी बोल देंगे।