विनीत कुमार
ऐसा नहीं है कि अंग्रेजी बोलते समय हमारी-आपकी जुबान-जीभ लड़खड़ाती नहीं लेकिन यही कमजोरी नरेन्द्र मोदी के साथ हो जाए तो “राष्ट्रीय समस्या” तो है ही. अब सोचिए कि रेलवे-बैंकिंग, एएससी की तरह चुनाव में “अंग्रेजी के प्रति अगाध प्रेम” की जगह “अंग्रेजी के प्रति सामान्य ज्ञान” की शर्त रख दी जाए तो इनकी तो बत्ती लग गई न समझिए..
लेकिन मैं इस बात से बेहद खुश हूं कि इस देश की एक बड़ी आबादी जो बेचारी देश की संस्कृति और परंपरा की गहरी समझ रखते हुए हर दौर में एक अवतारी पुरुष की तलाश में हताश-परेशान रहती है और अबकी बार मोदी को ही अवतारी पुरुष मानने लग गए थे, वो ये जरुर समझ रहे होंगे कि न, देवता कुछ और गलत-गड़बड़ी कर सकता है- देवता कम से अंग्रेजी गलत नहीं बोल सकते और वो भी आशावादी की जगह निराशावादी..इन मुक्त जनता को लख-लख बधाईयां. देखें वीडियो :
(स्रोत-एफबी)