सुना है दिल्ली का चुनाव भी भाजपा को मोदी लड़वाएंगे। सोचकर कुछ अचंभा होता है। दिल्ली के चुनाव की प्रकृति नगर निगम चुनावों से बहुत अलग नहीं होती – वह गली-मुहल्लों का चुनाव (प्रचार) होता है।
प्रधानमंत्री की सभाएं मायापुरी, जहांगीरपुरी से त्रिलोकपुरी तक? बड़ा मजा आएगा। बहरहाल, महाराष्ट्र-हरियाणा में खास चुनौती नहीं थी। पर लोकसभा में बेरंग रहने के बावजूद आम आदमी पार्टी की दिल्ली में पैठ है। 49 दिन की आप सरकार काम करने वाली सरकार थी, भ्रष्टाचार घटने और पुलिस और बाबुओं के बदले बरताव की बात ऑटो-टैक्सी के ड्राइवरों से मैं खुद सुनता था।
अम्बानी के खिलाफ मुकदमा कर केजरीवाल ने राजनीति का तेवर ही बदल दिया था। मोदी के प्रचार के बावजूद भाजपा दिल्ली में बहुमत नहीं पा सकी। लेकिन अब मोदी प्रधानमंत्री हैं, उनके वादों और दावों की सफलता-विफलता अभी सवालों के घेरे से बाहर है।
क्या उनके कंधों पर भाजपा यह दिल्ली भी फतह कर लेगी? या जनता आप पार्टी को एक मौका और देगी? या, पहले की तरह, तिरंगी विधानसभा हाथ लगेगी? ऊंट आखिर किस करवट बैठेगा, थोड़ा रंग चुनाव का चढ़ जाए तो तसवीर साफ हो।
(स्रोत-एफबी)