अभय सिंह-
समाजवादी पार्टी के उदय से आज तक हमेशा शिवपाल यादव को नेताजी का दाहिने हाथ माना जाता रहा है।लेकिन कई ऐसे तथ्य है जिस पर न तो मीडिया का ध्यान है ना ही विश्लेषकों का । किस तरह 2012 में सत्ता हासिल करने के बाद नेता जी ने बड़ी चालाकी से लगातार अपने भाई शिवपाल के पर कतरते-2 उन्हें पंखविहीन बना दिया।रही सही कसर बबुआ ने पूरी कर दी
कुछ तथ्यों पर प्रकाश डालना चाहूँगा जिससे स्पष्ट होगा की समाजवादी परिवार का नाटक मिशन शिवपाल को अंजाम देने के लिए एक सोची समझी रणनीति के तहत रचा गया –
1-जब 2012 में सपा सरकार बनी तो शिवपाल के विरोध के बावजूद नेता जी ने अनुभवहीन अखिलेश को अपना उत्तराधिकारी बना दिया।
2-शिवपाल 2014 लोकसभा चुनाव तक नेता जी के नेतृत्व में सरकार चाहते थे ताकि लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद की मज़बूत दावेदारी पेश कर सकें।लेकिन नेता जी ने शिवपाल की राय को दरकिनार कर जल्दबाजी में अखिलेश को सबकुछ सौंपकर शिवपाल को उनके मातहत काम करने पर मजबूर किया।
3-मुजफ्फरनगर दंगो में आजम खाँ की संलिप्तता,अखिलेश के कमजोर नेतृत्व के कारण 2014 लोकसभा चुनावों में मोदी लहर ने उनका सफाया कर दिया ।लेकिन इसकी गांज ना तो आज़म न ही अखिलेश पर गिरी।जबकि 2009 लोकसभा चुनाव में सपा के लोकसभा सांसद 36 से घटकर 21 रह गए एवं उपचुनाव में राज बब्बर के हाथो बहू डिम्पल यादव की करारी हार का ठीकरा अमर सिंह पर फोड़ा गया और उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
4- इलेक्ट्रॉनिक ,एवं प्रिंट मीडिया में अखिलेश की ब्रांडिंग के लिए अरबों लुटाए गए जबकि यूपी आज भी देश के सबसे पिछड़े,गरीब राज्यो में है ।जहाँ बिजली की भारी कमी,बेरोजगारी,पलायन,
कमजोर क़ानून व्यवस्था, भर्तीयो में भयंकर धांधली,uppsc में भ्र्ष्टाचार, हर उच्च पदों में एक जाति विशेष का कब्ज़ा,खनन घोटाले में संलिप्तता जगजाहिर है जिस पर मीडिया की चुप्पी संदेहास्पद है।
5- सीएम बनने के बाद अखिलेश की शिवपाल पर भौहें तनी ही थी की नेताजी ने शिवपाल की बजाय अखिलेश को प्रदेशअध्यक्ष बनाया और सीएम के साथ2 पार्टी पर भी कब्जा दिला दिया वहीँ शिवपाल को मंत्री पद देकर चुप करा दिया गया।
6-अखिलेश ने 2012 से लगातार मनमाफिक लोगों को भारी संख्या में पार्टी में ओहदेदार बनाया ताकि विद्रोह की स्थिति में अपनी ताकत दिखाई जा सके।संगठन से लगातार दूर रहे शिवपाल से उनके मंत्रालय को भी कमजोर करने की कोशिश हुई।
7-शिवपाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाना महज नाटक भर था क्योकि अखिलेश 4 साल तक संगठन में अपनी पकड़ मजबूत कर चुके थे।
8-नेता जी ने अमर सिंह को पार्टी में शामिल कराकर अखिलेश की राह और आसान कर दिया।अमर को बलि का बकरा बना कर शिवपाल और उनके करीबियों के पर दुबारा कतरे गए और अमर सिंह को दुबारा हाशिये पर धकेल दिया।
9-आज नेता जी अपनी विश्वशनीयता गंवाकर अखिलेश के राह का हर काँटा साफ़ कर चुके है शिवपाल,अमर को कोमा में पहुँचाकर अब बेटे को दुबारा गद्दी पर बैठाने की कोशिश में लगे है।
10-सत्य तो यह भी है की कलियुग में असत्य,एवं षड्यंत्र करके क्षणिक सफलता प्राप्त की जा सकती है लेकिन ईश्वर,एवं जनता के दरबार में उन्हें हमेशा असफलता ही मिलती है।
(लेखक राजनीतिक विश्लेषक हैं)