मनीष
क्या हम मीडिया की नजरों से अपनी सोच का निर्माण करने लगे हैं?
पिछले शुक्रवार को एक व्यापारिक प्रतिष्ठान में कार्यरत पच्चीस वर्षीय युवती का बलात्कार एक उबेर नाम की रेडियो टैक्सी में हो जाता है। दुर्घटना के बाद युवती ने अपने मोबाइल के कैमरे से उस टैक्सी का फोटो लिया और पुलिस में शिकायत दर्ज करायी। उसके फोटो के आधार पर गाड़ी और ड्राइवर दोनों बरामद हो जाते हैं। ड्राइवर पर सुसंगत धाराओं में चालान कर आगे की कार्यवाही शुरू हो गयी।
लेकिन इस बीच मीडिया ने उस युवती की बहादुरी और संयमशीलता पर ध्यान न देकर टैक्सी और रेडियो टैक्सियों पर घँटों बहस चला दी। इस बहस का असर यह हुआ कि उबेर नामक कँपनी पर प्रतिबंध लगा दिया गया। साथ ही अन्य टैक्सी संचालकों पर भी तलवार लटकने लगी है।
लेकिन इसका सबसे बड़ा नुकसान यह होने वाला है कि मीडिया ने टैक्सी संचालकों और ड्राइवरों को राक्षस बना दिया है।
मीडिया ने पिछले दिनों में इस संबंध में जो मुद्दे प्रमुखता से उठाये हैं उनमें टैक्सी ड्राइवरों के पुलिस वैरिफिकेशन, उनके चरित्र प्रमाणपत्र और टैक्सियों में जीपीएस सिस्टम का लगा होना प्रमुख है।
दिल्ली सहित पूरे देश में लाखों की संख्या में टैक्सियों का संचालन होता है। इसके अलावा देश के अधिकाशं लोग निजी वाहनों का भी उपयोग करते हैं। फिर कितने वाहनों में जीपीएस सिस्टम लगा है? क्या सरकार उनके संचालन पर भी रोक लगायेगी? क्योंकि इस तरह की घटनाएँ दिल्ली से बाहर भी हो सकती हैं या होती हैं।
वैरिफिकेशन और चरित्र प्रमाणपत्र की बात की जाय तो इसका क्या तरीका होना चाहिए? क्या पुलिस किसी के नाम और पते को वैरिफाई करने के साथ उत्तम चरित्र का प्रमाणपत्र दे देती है तो यह विश्वास किया जा सकता है कि फंला आदमी भविष्य में कभी कोई गैरकानूनी काम नहीं करेगा।फिर उसके भविष्य में किये गये गैरकानूनी कृत्यों को न करने की गारंटी कौन लेगा?
सलाह यह दी जा रही है कि महिलाओं के कार्यस्थल से संबंधित लोगों का वैरिफिकेशन अवश्य होना चाहिए। इस आधार पर तो सड़क पर चलने वाली हर महिला के आगे-पीछे या समानांतर चलने वाले लोगों को अपना चरित्र प्रमाणपत्र पुलिस से वैरीफाई कराके पाकेट में रखना चाहिए।
फिर एक गरीब ड्राइवर की रोजीरोटी सिर्फ इस आधार पर कैसे छिनी जा सकती है? यह सही है कि एक टैक्सी ड्राइवर ने यह कुकृत्य किया। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सभी टैक्सी ड्राइवरों को इस आधार पर दानव समझा जाने लगे।
(Manish Teshwer के एफबी वॉल से)
बहुत गलत है आप शिव की फोटो फ्रेम करके घर में लगवा दीजिये इससे अज्ञानी मीडिया का पाप कुछ कम होगा; आप ज्ञान बांटने से पहले अपना ज्ञान तो दुरुस्त कर लें ये दुर्घटना नही थी