विष्णुगुप्त-
चारू निगम प्रकरण की सच्चाई काफी जहरीला है, मीडिया सिर्फ पुलिस और चारू निगम के पक्ष में नतमस्तक होकर गरीबों की खिल्ली उडा रहा है और चारू निगम की करतूत पर पर्दा डाल रहा है। जन प्रतिनिधि जनता का हमदर्द होता है, वह जन प्रतिनिधि पीडि़त महिलाओं के साथ खडा था जो महिलाएं चारू निगम की बर्बरता की शिकार थी।
घटना की सच्चाई जानिये : गोरखपुर में शराब दुकान के खिलाफ महिलाओं ने आंदोलन शुरू किया था, जाम लगाया था। चारू निगम और उसकी पुलिस पहुंच कर आंदोलित महिलाओं पर लाठी चार्ज कर शुरू कर दी थी, महिलाओं को दौडा-दौडा कर पीटा गया। महिलाओं ने भी पुलिस का प्रतिकार किया। करीब एक दर्जन आंदोलित महिलाओं को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार महिलाओं के साथ पुलिस ज्यादती कर रही थी।
जन प्रतिनिधि का कर्तव्य: महिलाओं पर लाठी चार्ज और महिलओं पर ज्यादती, गिरफ्तारी की खबर विधायक राधा मोहन अग्रवाल की हुई तो वे घटना स्थल पर पहुंचे। घटना स्थल पर जायजा लेने और जानकारी लेने के बाद अग्रवाल ने एएसपी चारू निगम से प्रश्न किये और पुलिस अत्याचार के कारण पूछने के साथ ही साथ गिरफ्तार महिलाओं को रिहा करने को कहा। चारू निगम पुलिसिया रोब झाडने लगी। जिस पर विधायक का गुस्सा टूटा। विधायक का कर्तव्य जनता की रक्षा करने का है। विधायक क्या पुलिस द्वारा उत्पीडित महिलाओं का पक्ष नहीं लेते, क्या पुलिस लाठी चार्ज में घायल महिलाओं के पक्ष में विधायक नहीं खडे होते, गिरफ्तार महिलाओं की रिहाई के लिए विधायक प्रयाास नहीं करते? इन सभी प्रश्नों का उत्तर किसी के पास होगा नहीं?
आईपीएस और आईएएस जनता का मालिक समझने लगे हैं : आईपीएस और आईएएस अपने आप को जनता का मालिक समझने लगे हैं। ये कुछ भी कर सकते हैं पर इन पर प्रश्न उठाने वाला, इन्हें कानून के दायरे में रहने की हिदायत करने वाले को मीडिया और अनपढ लोग सीधे खलनायक बना दिया जाता है। आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को मालूम होना चाहिए कि आंदोलन से कैसे निपटना चाहिए। महिलाएं आंदोलन कर रही थी, कोई आतंकवादी तो थी नहीं? पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी कितने क्रूर होते हैं, कितने अमानवीय होते हैं, ये सब भुक्त भोगी ही जानते हैं, सोशल साइड पर चारू निगम के पक्ष में अभियान चलाने वाले थाने में जाकर पुलिस की सच्चाई देख ले फिर इन्हें सबकुछ मालूम हो जायेगा?
महिलाएं गरीब थी : इसीलिए मीडिया और सोशल साइड वाले सीधे तौर पर क्रूर और ज्यादती करने वाली पुलिस व चारू निगम के पक्ष में खडी हो गये। अगर महिलाएं बडी घर की होती तो फिर मीडिया और सोशल मीडिया जरूर पीडित महिलाओ का पक्ष भी जानता।