टीवी चैनलों और समाचार पत्रों में समाचारों और समसामयिक विषयों के प्रसारण और प्रकाशन में स्वतंत्रता एवं बहुलता सुनिश्चित करने के लिए ट्राई ने इस क्षेत्र में प्रवेश करने वाले राजनीतिक निकायों और व्यावसायिक घरानों पर पाबंदियां लगाने की सिफारिश की है। दूरसंचार नियामक को प्रसारण क्षेत्र के नियमन की जिम्मेदारी भी दी गई है।
ट्राई ने प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया के लिए एक ही स्वतंत्र नियामक स्थापित करने की सिफारिश की है जिसमें मुख्य रूप से गैर-मीडिया क्षेत्र के प्रतिष्ठित लोगों को रखने का सुझाव है। ट्राई ने ऐसे नियामक को ‘पेड-न्यूज’ और ‘निजी समझौतों’ के आधार पर समाचार प्रकाशन तथा ‘संपादकीय स्वतंत्रता’ से जुड़े मुद्दों की जांच करने और जुर्माना लगाने का अधिकार देने की भी सिफारिश की है।
ट्राई ने कहा है, ‘राजनीतिक दलों, धार्मिक संस्थाओं, शहरी, स्थानीय, पंचायती राज संस्थाओं तथा सार्वजनिक धन से चलने वाली दूसरी संस्थाओं, केन्द्र और राज्य सरकारों के मंत्रालयों, विभागों, कंपनियों, उपक्रमों, संयुक्त उद्यमों और सरकारी धन से चलने वाली कंपनियों और सहायक एजेंसियों को प्रसारण और टीवी चैनल वितरण क्षेत्र में आने से रोका जाना चाहिए।’
ट्राई ने कहा है कि यदि इस तरह के किसी संगठन को पहले से मंजूरी दे दी गई है तो उनके लिए बाहर निकलने का विकल्प भी रखा जाना चाहिए। मीडिया क्षेत्र में व्यावसायिक घरानों के बढ़ते प्रवेश पर अपनी सुझाव में ट्राई ने कहा है, ‘इसमें निहित हितों के टकराव को ध्यान में रखते हुए ट्राई का मानना है कि सरकार और नियामक को व्यावसायिक घरानों के मीडिया क्षेत्र में प्रवेश पर रोक के बारे में गंभीरता से विचार करना चाहिए।’
मीडिया नियामक के मामले में ट्राई ने कहा, ‘सरकार को मीडिया का नियमन नहीं करना चाहिए। टीवी चैनलों और समाचार पत्रों दोनों के लिए एक ही नियामक प्राधिकरण होना चाहिए जिसमें मीडिया सहित विभिन्न क्षेत्रों के जाने माने व्यक्तियों को शामिल किया जाना चाहिए।
इसमें ज्यादातर मीडिया से बाहर के लोग होने चाहिए।’ट्राई ने यह भी कहा है कि सरकार और प्रसार भारती के बीच दूरी रखने के उपायों को मजबूत बनाना चाहिए और इसकी कामकाजी स्वतंत्रता और स्वायत्ता को बनाए रखने के उपाय किए जाने चाहिए।
(भाषा)