प्रेस विज्ञप्ति
आलसियों की नहीं, परिश्रमियों की है दुनिया: स्वामी धर्मबंधु
भोपाल, 13 सितम्बर, 2014। आज की दुनिया को नॉलेज सोसायटी के रूप में जाना जाता है। इस दुनिया में वही आदमी कामयाब हो सकता है जो परिश्रमी है, प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार है और विश्व में अपनी भूमिका तय करने का सामर्थ्य जिसमें है। दुनिया के सबसे प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में बताया गया है कि जीवन मिलते ही युद्ध आरंभ हो जाता है। यह दुनिया आलसियों के लिए नहीं है, दुनिया तो संघर्ष करने वालों के लिए है। ये विचार श्री वैदिक मिशन ट्रस्ट, गुजरात के प्रमुख स्वामी धर्मबंधु ने व्यक्त किए। वे माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित व्याख्यान में उपस्थित थे।
श्री धर्मबंधु ने विद्यार्थियों को व्यवस्थित जीवन जीने के 11 सूत्र दिए। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को सफल होने के लिए सबसे पहले अपने लक्ष्य का चुनाव करना चाहिए। उसके बाद लक्ष्य को हासिल करने के लिए योजना बनाएं। अपने काम और लोगों के साथ सामंजस्य बनाएं। नेतृत्व क्षमता विकसित कीजिये। टीम में एकता बनाइए। लचीलापन और उम्मीद से अच्छा प्रदर्शन करने की तैयारी करिए। प्रशासनिक क्षमता और तार्किक चिंतन को बढ़ाइए। लक्ष्य को हासिल करने के लिए पवित्र आचरण और चरित्र प्रमुख है। लक्ष्य की ओर जिस गति से आप बढ़ रहे हैं उसे बनाए रखने की कला भी आनी चाहिए। स्वामीजी ने कहा कि बहुत किताबें लिख देने से, बहुत अच्छा भाषण देने से आप समाज में याद नहीं रखे जाओगे। जीवन कैसे जीया? इसी बात से दुनिया में प्रत्येक व्यक्ति का मूल्यांकन होता है। श्रेष्ठ आचरण के कारण ही आप समाज में याद रखे जाओगे। उन्होंने कहा कि सीनियर नहीं बल्कि सुपीरियर बनने की कोशिश करो।
अनुकरणीय जीवने के लिए पांच संकल्प:
1. हम अपने प्राचीन साहित्य को अवश्य पढ़ेंगे।
2. हम अपनी संस्कृति, सभ्यता और परंपराओं का सम्मान करेंगे।
3. हम अपने राष्ट्र के प्रति प्रेम रखेंगे।
4. हम अपने जीवन में कुछ आदर्श प्रतिस्थापित करेंगे।
5. हम अन्याय और अत्याचार के खिलाफ आवाज जरूर उठाएंगे।
इस मौके पर जनसंचार विभाग के अध्यक्ष संजय द्विवेदी, जनसंपर्क विभाग के अध्यक्ष डॉ. पवित्र श्रीवास्तव, प्रबंधन विभाग के अध्यक्ष डॉ. अविनाश बाजपेयी, वरिष्ठ शिक्षक डॉ. संजीव गुप्ता और पंकज कुमार सहित अन्य प्राध्यापकगण और विद्यार्थी उपस्थित थे।
(डा. पवित्र श्रीवास्तव)
प्रभारी जनसंपर्क