सुजीत ठमके
कल मेरे ऑफिस में देश के जाने माने वैज्ञानिक डॉक्टर रघुनाथ माशेलकर साहब आये थे। नारी के निदेशक डॉक्टर अनिल राजवंशी साहब लिखित ” “रोमांस ऑफ़ इनोवेशन” नामक किताब का विमोचन था। यूएस से लौटे थे। सीधे कार्यक्रम में पहुंचे। किन्तु चेहरे पर थकान नहीं। उत्साह भरपूर। समूचा भाषण आशावादी कोई निराशा नहीं। सफल बिजिनेस वेंचर बनाने के तीन मूल मंत्र दिए स्किल, स्केल और सस्टेनेबल। बड़ी सोच रखो। उतार चढाव आते है। उम्मीद मत हारो। जो खुद निराशा के गर्क में है। उत्साह नहीं। बड़ी सोच नहीं है। रिस्क लेने का जज्बा नहीं है। मार्केट और पब्लिक की जरूरते जानता नहीं वो कभी भी सफल इंटरप्रेन्योर नहीं हो सकता। इंटरप्रेन्योर का मतलब आप और आपका परिवार नहीं है। आप से हजारो, लाखो जिंदगी, परिवार जुड़े होते है। इनोवेशन को इंटरप्रेन्योरशिप के बिजनेस मॉडल में तब्दील करना और रोजगार निर्माण करना एक सफल उद्यमीयो की पहचान है। मै मूल रूप से तो मीडिया कर्मी हु। किन्तु कई विषयो में मेरी रूचि है। उन्ही विषयो में से एक विषय है इंटरप्रेन्योरशिप। कुछ वर्ष नौकरी करके मेरी भी बड़ी योजना है। नौकरी में ज्यादा अवसर नहीं है। कुछ नया करने की कोई गुंजाइश नहीं है। खुद का ब्रांड मार्केट में स्थापित करने का कोई रास्ता नहीं।
यह धारणा ही गलत है की सफल बनने के लिए इंटरप्रेन्योर आईआईटी, आईआईएम से उच्च शिक्षित होना चाहिए। विशेष समुदाय से होना चाहिए। इतना जरूर है परफेक्ट बिज़नेस मॉडल रहना जरुरी है। क्या आम क्या ख़ास लोगो की जरुरितो को ध्यान में रखकर बिजिनेस मॉडल तैयार करना जरुरी है। बिल गेस्ट्स की माइक्रोसॉफ्ट हो, मार्क जुकरबर्ग का फेसबुक हो। बंसल बंधू का फ्लिपकार्ड हो, स्नैपडील हो, अमेजॉन हो, जेबौंग,ट्विटर, राघव बहल, प्रणव राय आदि आदि देश के जाने माने बिजनेस आइकॉन सभी का बिजनेस मॉडल परफेक्ट था। इसीलिए यह सफल उद्यमी बने। जब खुद पर यकींन होता है दुनिया मुट्ठी में होती है। सपने केवल देखने के लिए नहीं होते पुरे करने के लिए भी होते है।
देश दुनिया के सभी बिजनेस टायकून के पास आइडिया इनोवेटिव थी। पच्छिमी देश भारत को बड़े बाजार के रूप में देखते है। क्योकि वर्ष २००८ से विश्व पर ग्लोबल स्लोडाउन का साया है। पच्छिमी देशो की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। लेकिन भारत के अर्थव्यवस्था डगमगा जरूर गई किन्तु तहस नहस नहीं हुई। पच्छिमी देश फायन्सियल क्राइसिस से अभी तक उभरे नहीं है। फेसबुक के को- फाउंडर कुछ दिन पहले भारत के दौरे पर आये । ज़ुकरबर्ग का पूरा फोकस भारत में बिजनेस बढ़ने पर था। मतलब संकेत साफ़ है भारत में पच्छिमी देशो से ज्यादा अवसर है। जुकरबर्ग का फोकस अपने प्रोडक्ट्स की बेहतर पैकेजिंग के जरिये भारत में बेचने पर था। व्यापार और इंटरप्रेन्योरशिप दोनों अलग विषय है। व्यापार अड़ोस पड़ोस, इर्द गिर्द में देखकर कर सकते है किन्तु इंटरप्रेन्योरशिप का सीधा ताल्लुक इनोवेशन है। ग्रामीण हो, शहरी हो, बेरोजगार हो, युवा हो, महिला हो या फिर कोई समुदाय। कल का बेहतर भारत सभी चाहते है। देश के बड़े १०-२० उद्यमी पुरे देश की तस्वीर बदल सकते है ऐसी उम्मीद रखना मूर्खता है। युवा इंटरप्रेन्योर ही बना सकते है कल का ” मेक इन इंडिया। सभी संभव है।
सुजीत ठमके
पुणे – ४११००२
( लेखक भारत सरकार के अधीन देश के नामचीन संस्था में मीडिया एंड पीआर देखते है। कई मीडिया संस्थानों में रह चुके है। युवा मीडिया विश्लेषक है। राजनीति, करेंट अफेयर्स, विदेशनीति, इकोनॉमी, सोशल इशू इंटरप्रेन्योरशिप जैसे विषयो पर अच्छी पकड़ रखते है )