विकास मिश्र
महुआ न्यूज में कर्मचारियों की हड़ताल चल रही है। महुआ प्रशासन ने लाख कोशिशें कर लीं, लेकिन तमाम लोग अभी दफ्तर में ही हैं। एक लड़की का फोन आया, सुनकर रोंगटे खड़े हो गए। 24 घंटों से लड़के-लड़कियों ने खाना नहीं खाया था।
दफ्तर में बिजली, पानी का कनेक्शन काट दिया है। शाम से रात तक जब गरमी रहती है तो एसी ऑफ रहता है। सुबह चार-पांच बजे जब थोड़ी ठंड हो जाती है तो एसी चलवा दिया जा रहा है। मकसद यही कि चाहे ठंड से, चाहे डर से, चाहे ऊबकर ये सभी चले जाएं तो मालिकान चैन की सांस ले सकें और दीपावली मना सकें।
तीन महीने से महुआ के साथियों को तनख्वाह नहीं मिली है। दीपावली अंधेरे में कटेगी, करीब – करीब तय हो चुका है। आसपास दूसरे चैनलों में जश्न का माहौल है। मिठाइयां बंट रही हैं, बोनस बंट रहा है, डीजे पर संगीत बज रहा है। मैं भी जिस चैनल से आता हूं, वहां भी कल जश्न हुआ है।
जश्न कोई अपराध नहीं, लेकिन त्योहार पर भूखे पेट मारना तो अपराध है ही। कोफ्त इस वजह से भी होती है कि महुआ न्यूज में मैं भी काम कर चुका हूं। करीब तीन लाख रुपये मेरे भी वहां फंसे हैं। मैंने जोर इस नाते नहीं दिया कि प्रबंधन अभी फंसा है, मैं क्या प्रेशर डालूं।
खैर मेरी कोई बात नहीं, मैं फिलहाल मजे में हूं, लेकिन महुआ के साथियों के लिए बहुत दुख है। कम से कम इतना तो कर सकता हूं कि इस बार दीपावली का जश्न न मनाऊं। अगर आज या कल दोपहर तक इन साथियों के साथ कुछ अच्छा फैसला नहीं होता तो मैं दीपावली का जश्न नहीं मनाऊंगा।
(आजतक के पत्रकार विकास मिश्र के एफबी से साभार)