मुंगेर के पूरबसराय में आयोजित इस सम्मान समारोह की अध्यक्षता साहित्यकार काशी प्रसाद ने किया एव संचालन गजलकार शिवनंदन सलील तथा समारोह के मुख्य अतिथि ‘सरजमीं’ के संपादक अशांत भोला थे । अतिथियों का स्वागत गीतकार छंदराज ने किया। इस सम्मान समारोह का एक मुख्य आकर्षण कवि सम्मेलन था। अशांत भोला ने सुनाया-
जबतक जमीं रहेगी दिल में नमीं रहेगी,
महफिल सजेगी लेकिन तेरी कमी रहेगी।
कवि गुंजन को समर्पित इन पंक्तियों पर श्रोताओं की वाहवाही रही।नारी अस्मिता की भावना को व्यक्त करते हुए उत्तिमा केशरी ने कहा-
मेरे महावर से सजे
गोरे नाजुक पावों को
तब स्वत: बज उठी थी
मधुर ध्वनि
आत्मा की।
कवि राजकिशोर राजन ने कहा कि –
नींद में बच्चा/ बच्चे के हाथ में रोटी/
रोते-रोते सोया है बच्चा/
लड़ते-झगड़ते उसे मिली थी रोटी..
कवियों में सच्चिदानंद पाठक, कमर तबां, खुर्शीद अहमद मलिक, डा. मृदुला झा, सतीश कुमार आदि कवियों ने काव्य पाठ कर उपस्थित श्रोताओं का मंत्रमुग्ध कर दिया। समारोह के सचिव एस बी भारती, अध्यक्ष डा देवव्रत सिन्हा एव गुंजन परिवार के सदस्यों ने अथितियों का धन्यवाद दिया।
– अरविन्द श्रीवास्तव / मधेपुरा (बिहार)