नदीम एस.अख्तर
नरेंद्र मोदी के बारे में करण थापर क्या कहते हैं पढि़ए..
“साढ़े तीन मिनट की रिकॉर्डिंग के बाद अगले क़रीब एक घंटे तक मैं उन्हें (नरेंद्र मोदी) ये समझाने की कोशिश करता रहा कि इंटरव्यू पूरा करना ज़रूरी है, क्योंकि एक मुख्यमंत्री का किसी इंटरव्यू के बीच से उठकर चला जाना अपने आप में एक ख़बर है और इसे एक ख़बर की तरह ही टीवी न्यूज़ बुलेटिन्स में दिखाया जाएगा.” —करण थापर (सौजन्य- बीबीसी)
करण थापर ने ये बात उस इंटरव्यू के संदर्भ में कही है, जब बातचीत के बीच में ही मोदी इंटरव्यू छोड़कर और लैपल माइक हटाकर चल दिए. कहा-करण भाई, हमारी दोस्ती बनी रहे तो अच्छा है.
राजीव रंजन झा
नरेंद्र मोदी के करण थापर को दिये अधूरे साक्षात्कार की काफी चर्चा होती रही है। यह साढ़े तीन मिनट चला था। वैसा ही एक अधूरा साक्षात्कार विजय त्रिवेदी ने भी किया था। यह 10-12 मिनट चला था। उसके बाद एक पूरा साक्षात्कार शाहिद शिद्दीकी ने किया था। इस साक्षात्कार के बाद उन्हें सपा ने बाहर निकाल दिया था।
ये तीनों साक्षात्कार एक तरह से गुजरात के 2002 के दंगों पर मोदी की मीडिया ग्रंथि खुलने की प्रक्रिया बताते हैं। करण थापर के सवालों पर वे तुरंत उखड़ गये। विजय त्रिवेदी को 10-12 मिनट झेल पाये। लेकिन फिर कहीं उन्हें यह अहसास जरूर हुआ होगा कि इन सवालों से भागा नहीं जा सकता। फिर उन्होंने शाहिद शिद्दीकी को पूरा झेल लिया, लेकिन यह साक्षात्कार लेने का परिणाम खुद शाहिद शिद्दीकी पर भारी पड़ गया, राजनीतिक निर्वासन झेलना पड़ गया।
एक और साक्षात्कार की चर्चा नहीं होती। राहुल कँवल के साथ उनकी बातचीत, जिसमें वे सवालों से भागते नहीं, बल्कि उल्टे आक्रामक ढंग से प्रतिप्रश्न करते हैं।
जब मोदी की बात करें तो इन सब प्रसंगों की बात करें, उन प्रसंगों के बीच एक व्यक्ति में आ रहे बदलावों को देखें। पाला खींच कर नायक या दुश्मन बताना तो बड़ा आसान है।
(स्रोत-एफबी)