नवजीत सिंह
उरई जालौन.जहाँ शासन कमजोर होता है वहा पर कोई भी उसकी छाती पर चढ़ बैठता है , पत्रकारों के स्वयंभू नेताओ के मामले में भी कुछ ऐसी ही स्थिति है।
श्रमजीवी पत्रकार संघ में राष्टीय अध्यक्ष से लेकर प्रदेश अध्यक्ष तक का कार्यकाल आजीवन है इस कारण लगभग सभी पत्रकार इस यूनियन का साथ छोड़ चुके है.
कांग्रेस के ज़माने में इस यूनियन को लखनऊ के चाइना मार्किट में दफ्तर उपहार में मिल गया था जिसकी कीमत अब करोडो में है , यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष की रोजी रोटी इसके ही किराये से चलती है ।
क्योकि उनके पास बरसो से कोई अखबार और नौकरी नहीं है फिर सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से इनको लाखो रुपये की व्यवस्था हर साल क्यों करती है सोचना चाहिए कि क्या इस पत्रकार विहीन यूनियन से पत्रकारों को साधने में उन्हें 1 % भी सफलता मिल पा रही है ?