उमाशंकर सिंह, पत्रकार, एनडीटीवी इंडिया
- सुना है #AAP के सामने पत्रकारों की भी लंबी लाइन लग गई है MLA-MP बनने की गुप्त चाहत में! तो क्या लोकतंत्र का चौथा स्तंभ भी सत्ता का भूखा है!
शर्म है उन पत्रकारों पर जो सत्ता के लिए पत्रकारिता करते रहे या कर रहे हैं। उनसे बेहतर तो मैं हूँ जिसे कल कांग्रेस ने तो आज ‘आप’ ने ख़रीदा है.
Asrar Khan : उमाशंकर जी मेरे ख्याल मे नेता और पत्रकार में ज्यादा अंतर नहीं होता …राजनीति महगी हो गई और वंशवाद की वजह से काबिल लोगों की इंट्री बंद हो गई इसलिए बहुत से नेता किस्म के लड़ाकू लोग पत्रकार बनकर इस मंच से जनता की आवाज उठाते रहे हैं …इसलिए जब भी अच्छा अवसर आएगा तो राजनीति में वे जरूर आयेंगे आखिर जनता की सेवा करने या उसके हकों को दिलाने के लिए सबसे अच्छा मंच तो राजनीति ही है और सारी ताकत भी उसी के पास है ….
Gaurav Shrivastava : सिर्फ सत्ता नहीं हर चीज़ का भूखा है यह चौथा स्तम्भ।
Rahul Chouhan : मीडिया में रह कर दलाली करने से बहतर है….सत्ता का भूखा बनना……
Prashant Pathak : पत्रकार संवेदी और सम्मान का भूखा होता है सत्ता यह दोनों अवसर उपलब्ध कराती है लाईजनरो के लिए यह बात लागू नहीं.
Manjit Thakur लोकतंत्र का चौथा स्तंभ तो सत्ता का इतना भूखा है जितना बाकी के तीन नहीं है।
Rajiv Kashyap Sayed : ye un khass Patrkaron ki line hogi, jo apne aap ko AAM dikhana chahten hai, kyonki Loktantra ke iss 4the stambh me v khaas stambho ki kami nahi hai..# Parivartan sansaar ka niyam hai..
(उमाशंकर सिंह के फेसबुक वॉल से साभार)