वेद विलास उनियाल
1— ऐसे में पत्रकार अपनी रुझान वाली पार्टी की आलोचना बर्दाश्त नहीं कर पाता
2- वह हमेशा ऐसे तर्क ढूंढता है कि जिससे उसकी रुझान वाली पार्टी के विपरीत पार्टी को दिक्कत हो।
3- वह ऐसे सवाल तलाशता है कि जिसका जवाब देकर रुझान वाली पार्टी के लिए सहूलियत हो।
4- वह ऐसी टिप्पणियां करता है ताकि उसके रुझान वाली पार्टी को फायदा मिले।
5- जब रुझान वाली पार्टी के खिलाफ कोई बात हो तो वह उसे टालता हुआ दिखता है, मगर जब विपरीत पार्टी की आलोचना हो तो वह क्रांतिकारी बन जाता है।
6 – ऐसा पत्रकार अपने रुझान वाली पार्टी के विपरीत नेता के खिलाफ सामग्री जुटाने में व्यस्त रहता है। पुराने व्यंग लेख, कार्टून, टिप्पणी आदि की तलाश करता रहता है।
7 – ऐसा पत्रकार अगर अपनी रुझान वाली राजनीतिक पार्टी की आलोचना में कोई लेख या खबर विश्लेषण आदि लिखता है या टीवी पर कमेंट्स करता है तो उसमें आलोचना का पुट नहीं बल्कि संभलने का सुझाव रहता है। लेकिन जब विपरीत पार्टी के लिए लिखना होता है या कहना होता है तो वह धारदार होता है।
8 – ऐसा पत्रकार अपनी रुझान वाली पार्टी के पक्ष में ऐसे ऐसे तर्क गढ़ता है कि उस राजनीतिक पार्टी का प्रवक्ता भी हीन भावना से कुठित हो जाए। उसे अपने पद में बने रहने का संकट दिखने लगता है।
9- ऐसा पत्रकार इस बात की परवाह नहीं करता कि लोग उसे देख कर या उसका लिखा पढकर क्या कह रहे होंगे वह पूरे लगन समर्पण से अपने लक्ष्यों में काम करता जाता है।
10 – ऐसा पत्रकार अक्सर अपने किए हुए को कहीं न कहीं जरूर साबित करवाता है। अपने लिखे या कहे को वह व्यर्थ नहीं जाने देता है। बल्कि अपने रुझान वाली राजनीतिक पार्टी के आकाओं को उसका अहसास कराता है। @fb