महान संपादक एस.एन.विनोद ने पहले हाथ जोड़ा और फिर जिया न्यूज़ के पत्रकारों पर कहर बरपाया!
अज्ञात कुमार
सौदा हो तो ऐसा हो – जिया न्यूज़ के एक रिपोर्टर की ज़ुबानी जिया न्यूज़ की कहानी
हिंदी समाचार चैनल जिया न्यूज़ में पिछले काफी समय से बड़े संपाकदकों और मालिक के चाटुकारों ने जमकर मलाई खाई और फिर पतली गली से निकल लिए. पर जब चैनल के नोएडा आफिस को बंद कर कर्मचारियों की सेटलमेंट की बात आयी तो उंट के मुंह में जीरा आया. वैसे बताते चले कि ये चैनल भी किसी अन्य चिटफंडिये चैनल की तरह चैनल कम और मज़ाक ज्यादा था. हर बार आए नए अधिकारी ने इसे जमकर लूटा और बेचारे कर्मचारी हाल मलते रह गये. पहले जाय सबेस्चियन फिर एस.एन.विनोद फिर जेपी दीवान फिर एस.एन.विनोद और आखिर में चैनल का बंटाधार. बस यही कहानी है इस चैनल की.
पिछले कई महीनों से चैनल के शिफ्ट होने की खबर ने कर्मचारियों को बैचेन कर रखा था. वहां मौजूद तथाकथित चाटुकारो की कलाबाज़ियां देखने और चाय पीकर वक्त निकालने के अलावा कोई रास्ता न था. बार-बार एचआर से पूछने पर चैनल के भविष्य के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई. बस कुछ लोग एस.एन. विनोद के प्राईम टाईम शो को लेकर उत्साहित रहते. दिन भर में चैनल बस रात को 8 से 9 बीच सक्रिय रहता बाकी समय चने मूंगफली खाकर निकाला जाता.
ख़ैर दिवाली के कुछ दिन पहले सेलेरी को लेकर कर्मचारियों ने काम बंद कर दिया. निराश और गुस्से में कर्मचारियों ने वरिष्ठ पत्रकार और सीईओ एस.एन.विनोद का रूख किया. विनोद साहब ने सभी से दो टूक कह दिया कि सेलेरी के लेनदेन में उनका कोई हस्तक्षेप नहीं, वे सिर्फ जिया इंडिया के संपादक भर हैं और हाथ जोड़ लिये. हालांकि चैनल में उनका शो इस दौरान रोज़ आन एयर हो रहा था. काम बंद करने की धमकी पर दिवाली के एक दिन पहले सेलेरी का इंतज़ाम किया गया.इसमें कईयों की दीवाली काली भी हुई क्योंकि सेलेरी आते-आते महीना खत्म हो चुका था. नवंबर महीने के दौरान भी यही कहानी चलती रही. एक बार फिर परेशान कर्मचारियो ने 26 तारीख को काम बंद कर दिया.लेकिन उसके के एक दिन बाद जो हुआ उससे सबके होश फाख्ता हो गये.
बिल्कुल तय रणनीति के तहत रोहन जगदाले के सिपाही कानूनी किताब और अपने हुक्मरान की महानता के कसीदे गढते सेटलमेंट के नाम पर आ धमके. निचले कर्मचारियों को पदाक्रांत करने और मालिक की महानता बताने के साथ चेक बंटने शुरू हुए. ये ठीक वैसा ही था जैसे कि भूखों में रोटी फेंकी जाती है या फिर किसी प्राकृतिक आपदा के बाद हेलीकाप्टर से राहत सामग्री. चेक लीजिये नहीं तो कोर्ट जाईये…यही कुछ मिज़ाज था महान संपादक एन एन विनोद का. ये वही साहब हैं जो दिवाली के एक दिन पहले पैसे देने की बात से कन्नी काट गये थे..पर आज वे मध्यस्थ कम मसीहा की भूमिका में थे.उन्होने कर्मचारियों को बताया गया कि कानून की पूरी किताब छान लीजिये इससे ज्यादा पैसा नहीं मिलेगा और तो और सालों तक कोर्ट में केस लड़ना पड़ेगा सो अळग.कोई भी इतना नहीं देता जितना रोहन जगदाले दे रहें है…
रोहन जगदाले की यशगाथा गाते हुए विनोद जी दो कदम और आगे निकले…और कहा कि आप लोगों को पता चले कि मालिक कहां से पैसा अरेंज कर रहा है तो आप उसे फूल माला पहनाएंगे और आपके आंखों से आंसू निकल जाएंगे.वो तो चैनल के बाहर क्लोज (close) का बोर्ड लगा रहा था. मैंने उसे मनाया.ये सुनकर तो लगने लगा कि कर्मचारी सेलेरी मांगकर ही गलती कर रहा है..कईयों को अपराधबोध होने लगा…मालिक रोहन जगदाले जिसने कभी बोनस नहीं दिया…टाईम पर सेलेरी नहीं दी…साल भर में एक रूपये का अप्रेज़ल नहीं किया.फर्जी संपादकों और दलालों से कर्मचारियों का शोषण कराया.बाकी इसी बीच कईयों को सड़क पर कर दिया गया..उसके पास पाखंडियों को देने के लिये लाखों रूपये की सेलेरी है.. 2दिसंबर को लान्च होने वाली मैगज़ीन जिसमें नितिन गडकरी को बुलाया जा रहा उस भव्य आयोजन पर खर्चा करने के लिये माल है..लेकिन कर्मचारियों के लिये कुछ नहीं..वाकई सौदा हो तो ऐसा हो..
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