झारखंड से बहुरंगी पाक्षिक समाचार पत्र “बदलता बिहार झारखंड”

बदलता बिहार झारखंड का लोकार्पण समारोह
बदलता बिहार झारखंड का लोकार्पण समारोह
झारखंड की राजधानी रांची से पत्रकार मुकेश कुमार ( मुकेश भारतीय ) ने अपने स्वामित्व एवं संपादकत्व में एक बहुरंगी पाक्षिक समाचार पत्र “बदलता बिहार झारखंड” का प्रकाशन शुरु कर दिया है। इस पाक्षिक अखबार का मुद्रण भास्कर प्रिंटिंग प्रेस,रांची से किया गया है।

बीते शुक्रवार को बहुरंगी पाक्षिक समाचार पत्र “बदलता बिहार झारखंड” का लोकार्पण रांची के ऐतिहासिक मोराबादी मैदान स्थित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के स्मारक स्थल पर वरिष्ठ पत्रकार मधुकर जी एवं झारखंड अंगेस्ट करप्सन के चर्चित दुर्गा मुंडा उर्फ दुर्गा उरांव के कर कमलों द्वारा किया गया। इस अवसर पर उपस्थित लोगों में पत्रकार अविनाश ठाकुर, नारायण विश्वकर्मा, इन्द्रदेव लाल, शन्नी शरद एवं आईटी एक्टिविस्ट सह आप पार्टी के कार्यकर्ता सुनील कुमार महतो समेत दर्जनों गण्यमान्य लोग उपस्थित थे।

वेब जर्नलिज्म के साथ कई प्रतिष्ठित समाचार पत्र-पत्रिकाओं एवं न्यूज चैनलों में अपनी सेवा दे चुके मुकेश कुमार उर्फ मुकेश भारतीय द्वारा स्वंय अखबार निकालने के पीछे का दर्द, लक्ष्य और संभावनायें को बहुरंगी पाक्षिक समाचार पत्र “बदलता बिहार झारखंड” में प्रकाशित संपादकीय से समझा जा सकता है।
उनके बुलंद हौसले और नेक इरादे का आंकलन इस बात से भी किया जा सकता है कि उन्होंने बहुरंगी पाक्षिक समाचार पत्र “बदलता बिहार झारखंड” का हर एक कार्य खुद अपने हाथों से किया है। कंटेंट एडिटिंग से लेकर पेज मेकिंग तक। पूर्णतः अकेले सब काम को अंजाम देना वाकई काविले तारीफ माना जा रहा है। श्री भारतीय के इस प्रयास की झारखंड की मीडिया जगत में काफी सराहना देखने को मिल रही है। लोग दंग हैं कि मामूली 10-20 हजार की पूंजी से अपने चिर परिचित शैली में अखबार का प्रकाशन कर दिखाना कम हिम्मत की बात नहीं है।

इस बाबत श्री मुकेश कुमार उर्फ मुकेश भारतीय ने सिर्फ इतना ही कहा कि अकेले चले हैं मंजिले जानिब, लोग मिलते जायेगें और कारवां बनता जायेगा। श्री भारतीय ने यह भी कहा कि हम पैसे के बजाय प्रतिभा के बल अपने समाचार पत्र को एक अलग पहचान देगें।

इस आलोक में प्रस्तुत है बहुरंगी पाक्षिक समाचार पत्र “बदलता बिहार झारखंड” में प्रकाशित संपादकीयः

आंदोलन नहीं, जंग का ऐलान

बिहार और झारखंड से प्रकाशित सैकड़ों पत्र-पत्रिकाओं के बीच मेरा एक छोटा सा प्रयास आपके हाथ में है। अनेक झंझावतों के बीच अचानक एक हिंदी पाक्षिक अखबार का प्रकाशन शुरु करना आत्मविश्वास की कौन सी परिभाषा है, हम खुद नहीं समझ पा रहे हैं।

वेशक आज का दौर माफिया-कॉरपोरेट गठजोड़ का है। प्रिंट मीडिया पर भी यही गठजोड़ हावी हो चला है। ऐसे में हम जैसों की चुनौती और भी बढ़ जाती है। लेकिन हम उन सारी चुनौतियों का मुकाबला करेगें। हमारा हौसला बुलंद और इरादे नेक है। हम न तो किसी के भरोसे खड़े हैं और न ही चलने की जुगत भिड़ाये हैं।

पिछले वर्ष राजनामा डॉट कॉम के संचालक-संपादक के तौर पर मुझे एक षडयंत्र का शिकार बनाया गया। 40 साल की उम्र तक जिस तरह के ख्याल कभी मेरे मन में नहीं आये, उस तरह के आरोप लगा कर मुझे होटवार जेल में डाल दिया गया। एक फर्जी शिकायत को पुलिस-तंत्र के रहनुमाओं ने आदेशपाल की तरह अमलीजामा पहनाया। ऐसा झारखंड जैसे राज्य में ही संभव है कि अचानक पुलिस का एक बड़ा लाव-लश्कर रात अंधेरे में मुझ जैसे को बगैर दरबाजा खटखटाये पड़ोसी का घर फांदते हुये छत पर आ धमके और उठा कर बिना कुछ बताये मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष के आवास के सामने के थाना में ले जाकर बंद कर दे। उसके बाद सीधे जेल। कहीं कोई फिल्टर सिस्टम नहीं। शायद इसलिये कि हम डर जायें। शब्द उगलना छोड़ सबकी थूकचटई करने लगें। लेकिन वैसे धन-बल-छल के खिलाड़ी शायद यह नहीं जानते कि हम उस मिट्टी में पले-बढ़े और आज सांस ले रहे हैं, जो सदियो से जीवटता प्रदान करते आ रहे हैं। हम न झुक सकते हैं और न ही टूट सकते हैं। हम सिर्फ घिस सकते हैं।

आज हम उन सारे पहलुओं को जान गये हैं कि उस संदर्भ में किसकी मंशा क्या रही। कहां सर्कस चल रहा है और कहां नौटंकी हो रहा है। कौन रिंग मास्टर है और कौन जोकर। हम कोई सर्कस या नौटंकी के पात्र नहीं हैं। जैसा कि लोगों ने समझ रखा है।

अखबार के प्रथम अंक में यह सब बताना इसलिये पड़ रहा है कि यहां षडयंत्रकारियों की कमी नहीं है। शासन तंत्र के निकम्मों ने उसे हर गली-कुचो में पैदा कर रखा है। पैसे की बिस्तर पर नींद की मुठ्ठी भर गोलियां खाकर भी रात भर करवटें बदलने वाले कीड़े कभी चैन से नहीं रह सकते और न ही दूसरे को कभी चैन रहने दे सकते हैं।

हम बिहार और झारखंड को खुशहाल देखना चाहते हैं। बदलता बिहार झारखंड उस खुशहाली के लिये कोई आंदोलन की बात नहीं करता है। हम आम आदमी को अपने सर्कस या नौटंकी के पात्र समझने वालों को सीधे चुनौती देते हैं। जंग का ऐलान करते हैं।

हम हिंदी पाक्षिक समाचार पत्र बदलता बिहार झारखंड को और बेहतर ढंग से प्रस्तुत करना चाहते थे लेकिन, कुछ लोग नहीं चाहते थे कि किसी अखबार का प्रकाशन करें। हमने जबसे अखबार प्रकाशन की तैयारी शुरु की, कहीं अधिक ध्यान उन धूर्खों के चालों से बचने में ही नष्ट हो गया।
हमारा लक्ष्य विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका के साथ खबरपालिका पर भी सीधी नजर रखने की है। इस अंक में उसकी साया भले ही नजर न आ रहा हो, लेकिन आप पाठकों से वादा है कि हम सबका आयना बनने में जरुर सफल होगें। बस हमें चाहिये सिर्फ आपका स्नेह और आशिर्वाद।

जय मां भारती
आपका मुकेश भारतीय

इस सूचना के प्रेषकः जाने माने पत्रकार रत्नेश हैं।

बहुरंगी पाक्षिक समाचार पत्र “बदलता बिहार झारखंड” को तलाश

बहुरंगी पाक्षिक समाचार पत्र “बदलता बिहार झारखंड” को बिहार और झारखंड के सभी जिलों में ब्यूरो प्रमुख, संबाददाता, विज्ञापन प्रतिनिधि, प्रसार प्रतिनिधि एवं सहयोगी की आवश्यकता है। शीघ्र संपर्क करेः-
पंजीकृत कार्यालयः- म.सं.-17/1 एन.एच.-33, चकला मोड़, ओरमांझी, रांची, झारखंड-835219
मोबाईलः 08987495562 / 09708570356
ईमेलः badaltabiharjharkhand@gmail.com nidhinews1@gmail.com

1 COMMENT

  1. badalta bihar jharkhand ke sampadak mukesh kumar hain , to iskee saphlta kee aasha majboot horahee hai. yah khabar ratneshji ne bhejee hai to nishchay hee we bhee jude hain.we karmath aur jujharu tewar ke hai, islie aise logon ke sahyatree hone par yah pakshik akhbar jaroor saphal hoga.
    Amrendra Kumar

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