वेद विलास उनियाल
मुंबई के शिवाजी मैदान के भव्य मंच पर वाजपेयीजी , अपनी चिरपरिचित अदा में माइक के सामने आए। उन्होंने कहा, आडवाणीजी ने कह तो दिया कि भाजपा की सरकार बनेगी तो वाजपेयीजी प्रधानमंत्री होंगे, पर यह कहने से पहले मुझसे पूछा भी नहीं। आडवाणीजी ने कह तो दिया, लेकिन सांसद तैयार न हों तब क्या होगा। लोग गगन भेदी नारे लगा रहे थे, अगली बारी अटल बिहारी। मार्च 1995, अजब सा माहौल बन गया था। तालियों की आवाज नहीं रुक रही थी। उसी क्षण पंडाल में बने प्रेस रूम में मैंने यह लेख जनसत्ता के संपादकीय पेज के लिए यह लिखा था। वाजपेयीजी प्रधानमंत्री भी बने और अब भारत रत्न से सम्मानित हो रहे हैं।
मुंबई में 6 जनवरी को रविराज प्रणामीजी ने मुंबई जनसत्ता से जुड़े पत्रकारों का रियूनाइटेड कार्यक्रम आयोजित किया है। बेशक उसमें शामिल होने की प्रबल इच्छा थी। पर जाना संभव नहीं हो पा रहा है। स्व. प्रभाषजी हमारे प्रेरक हैं ।
राहुल देव जी, प्रदीपजी, सतीशजी. धीरेंद्र अस्थानाजी , मंगलेशजी दीपकजी द्विजेंद्रजी सभी अग्रज और साथियों को याद करते हुए उन दिनों की स्मृति के बतौर अपना यह आलेख्र। आपसे अनुरोध, उस बीते दौर के इस आलेख को जरूर पढ़िएगा। @fb