दीपक शर्मा
फेसबुक में मेसेज और कमेंट्स में बहुत से मित्र पूछते हैं कि न्यूज़ चैनलों का कंटेंट इतना चीप क्यूँ है ? खासकर हिंदी चैनलों में छिछले और चीप शो क्यूँ दिखाए जाते हैं ? हाँ एक और सवाल जो लोग पूछते हैं …क्या पत्रकार सरकार (के दफ्तरों )में दलाली और लाइजनिंग भी करते हैं?
मित्रों पिछले ११ साल से मै आजतक में हूँ और ये कह सकता हूँ की इन्डिया टुडे ग्रुप में कोई पत्रकार दलाली करके रह नही सकता . यही नही इन्डिया टुडे ने आपातकाल से लेकर कोयला घोटाले तक हमेशा बेधड़क रिपोर्टिंग की है. देश में बचे-खुचे वरिष्ठ पत्रकार इस तथ्य की पुष्टि कर सकते है .
लेकिन मित्रों तस्वीर का दूसरा पहलु भी है. देश में २०० से ज्यादा न्यूज़ चैनल ऐसे है जिनके मालिक कंस्ट्रक्शन, चिट् फंड और सरकारी कान्ट्रेक्ट के धंधो में है. टीवी नेटवर्क की ये छदम कम्पनिया कोर मीडिया में नही हैं और बहुतों ने न्यूज़ चैनल लाइजनिंग के नाम पर खोले हैं. इन्ही चैनलों से पत्रकारिता की वो गंगोत्री निकलती है जिसमे दलाली, ब्लैकमेल और लाइजनिंग का घोल मिला होता है.
पत्रकारिता का छिछलापन एक वाईरस की तरह फैलता है और इसकी छाप फिर हर स्क्रीन पर दिखती है. ज़ाहिर तौर पर फिर आप दमदार खबर नही दिखा सकते और टीआरपी में बने रहने के लिए आप चीप कंटेंट का सहारा लेते हैं. यही कंटेंट फिर आपको मैन स्ट्रीम न्यूज़ चैनल में भी दिखने लगता है.
(स्रोत- एफबी)