प्लेटफार्म पर समय बिताने के लिये पत्रिकाएं उलट पलट रहा था। इंडिया टुडे दिखी। कुछ पन्ने पलटे। वापस रख दिया। आउटलुक हाथ में आई। पंडित रविशंकर से जुड़ा लेख दिखा ले लिया।
इंडिया टुडे पड़े रहो, कल तक कोई ले ही लेगा। न भी लें तो इसके बिना कौन सा इंडिया टहक जायगा। सेक्स सर्वे और तमाम चिलगोजइयां मुबारक हों। फरवरी में सर्वाये होते तो और रिजल्ट मिलता।
आउटलुक भी कोई दूध का धुला नहीं है। कवर पेज पर नग्न साधु छापा है अग्रभाग टांगों से छिपाये हुए। आजकल साधु सन्यासी भी मॉडलिंग करने लगे हैं। एक वो महामण्डलेश्वर की जुगत में है। हिंदू धर्म के पहरूए चाय पीने गये हैं।
(सतीश पंचम के एफबी वॉल से )
तो आपको मैं एक पत्रिका पढ़ने की सलाह दूंगा…उसे पढ़कर शायद आपको लगेगा कि पत्रिकाओं को लेकर और पत्रकारिता को लेकर सजग लोग भी इस हिन्दुस्तान में हैं. जो सिर्फ बेचने के लिए नहीं बल्कि लोगों को कुछ बेहतर देने के लिए पत्रिका निकाल रहे हैं. पत्रिका का नाम है – गांव जहान. इसे मैंने भी एक बार मुखर्जी नगर में यूं ही ले लिया था, लेकिन पढ़ने के बाद लगा कि अरे ये तो वही है जिसे हम पढ़ना चाहते हैं…..तो लीजिए इसे और बताइए कि मेरी सलाह सही थी या नहीं..