ख़बरों के आवाजाही के बीच न्यूज़ चैनलों का स्क्रीन बदलता रहता है. पहले इसी स्क्रीन पर जहाँ दुष्कर्म से संबंधित खबरों की भरमार थी. वहीं अचानक से उन ख़बरों की जगह भारत – पाकिस्तान काल्पनिक युद्ध ने ले लिया. लेकिन इस बीच कल का पूरा दिन कुंभ मेले की ख़बरों के नाम रहा. न्यूज़ चैनलों ने अपने संवाददाताओं और एंकरों को दिल्ली से कुंभ मेले की कवरेज के लिए भेजा. वहीं से लाइव एंकरिंग हुई. संवाददाताओं ने पीटूसी दिया. कुंभ और भी भव्य हो उठा. हरेक चैनल का दावा कि महाकुंभ की सबसे बड़ी कवरेज , सिर्फ उसके चैनल पर. उधर टीवी फ्रेंडली कई साधू – संत ये कहते नज़र आये कि आप प्रयाग नहीं आ पाए तो क्या, स्क्रीन के माध्यम से ध्यान लगाइए, समान रूप से पुण्य मिलेगा.
डंके की चोट पर अपनी बात कहने का दावा करने वाला IBN-7 भी इस मामले में पीछे नहीं रहा. आपको याद दिला दें कि इसी चैनल ने पहले स्वर्ग की सीढ़ी खोज निकाली थी. अब जब मोक्ष प्राप्ति का रास्ता सामने दिखाई दे रहा था तो वे पीछे कैसे रह सकते थे. सो एक टीम जिसमें पंकज श्रीवास्तव, पंकज भार्गव, श्रेया डोंडियाल आदि को भेजा गया. ये टीम वहां कवरेज के लिए तो गयी लेकिन ऐसी भाव –विभोर हुई कि कुंभ में गुम होकर बौरा उठी.
पंकज श्रीवास्तव का तो समझा जा सकता है क्योंकि उनका इलाहाबाद से पुराना रिश्ता रहा है और उनकी भावुकता समझ में आती है. पंकज श्रीवास्तव इसी भावुकता में बह्कर अपने एफबी वॉल पर लिखते हैं – “किस्मत पर भरोसा नहीं, लेकिन इलाहाबाद प्रवास हमारे जैसे लोगों के लिए मुकद्दर की बात ही है। कुंभ कवर करने के बहाने ही सही, अगला एक हफ्ता संगम तट पर गुजरना है। यही वह शहर है जिसने अरसा पहले मेरे जैसे लद्दू और धर्मभीरु को नया जन्म दिया था, गोकि सरस्वती को लुप्त हुए तब भी जमाना बीत चुका था। 15 बरस पहले जब इस शहर से झोला उठाया था तो ये नहीं सोचा था कि लौटना इस कदर मुश्किल होगा।…खैर, जहां भी रहा, इलाहाबाद साथ बहता रहा। अपना शाही स्नान तो, इस मिट्टी के स्पर्श और उन मित्रों से पुनर्मिलन में है, जिनके साथ अब सीनेट हॉल लॉन में नहीं, फेसबुक पर स्टडीसर्किल चलती है।“
लेकिन पंकज श्रीवास्तव से भी ज्यादा भाव – विभोर श्रेया डोंडियाल और पंकज भार्गव हो उठे. श्रेया तो यहाँ तक कहने लगी कि ये हमलोगों का ये सौभाग्य है कि कुंभ मेले को कवर करने का मौका हमें मिल रहा है. ऐसा लगा कि कोई रिपोर्टर नहीं बल्कि कोई साधू – सन्यासी की जुबान श्रेया बोल रही हों. मजेदार वाकया तो तब हुआ जब श्रेया डोंडियाल सामने दिखा रही थी और कह रही थी कि मेरे पीछे देखिए ……सच्ची बौरा ही गयी थी.
उधर वर्षों से IBN-7 पर सुबह की एंकरिंग करने वाले पंकज भार्गव गंगा स्नान कर ऐसे तृप्त हुए कि कुंभ से एंकरिंग करते हुए IBN-7 के लिए मंगलकामना और शुभकामना भी मांग ली. एक साधू से बातचीत में अचानक पूछ लिया कि आपने IBN-7 के लिए मंगलकामना की? मानों कुंभ स्नान वह IBN-7 के लिए ही करने गए हों.
दरअसल गलती IBN-7 के रिपोर्टरों की नहीं, उस कमबख्त कंठ लंगोटी यानी टाई की है जिसे लगाये बिना IBN-7 के रिपोर्टरों का दिमाग ठीक से नहीं चलता. लाल – हरे रंग का कुरता पहनकर सब आये थे , सो उनके अंदर रिपोर्टर की जगह साधू –संतों की आत्मा प्रवेश कर गयी थी और कुंभ में ये गुम हो गए. अब आशुतोष ही जाए तो इन्हें ढूंढ कर लाएं. लेकिन आशुतोष जी टाई लगाकर जरूर जाइयेगा, वर्ना ……!
(एक दर्शक की नज़र से)