सात नंबर वाले चैनल आईबीएन 7 में सात साल बाद फिर वही कहानी
करीब सात साल पहले चैनल 7 (अब का आईबीएन 7) में वही कुछ हुआ था, जो कल हुआ। तब अजित साही चैनल हेड थे। मार्केट में खबर थी कि चैनल 7 बिक गया है और छंटनी की लिस्ट तैयार हो रही है।
मैनेजमेंट इसे अफवाह बताने में जुटा था। फिर सुबह मीटिंग बुलाई गई, अजीत साही ने ऐलान किया- ये सारी बातें झूठी हैं, कोई लिस्ट नहीं बनी है, ये सरासर अफवाह है कि चैनल बिक रहा है। अगर इस बारे में कोई भी स्टाफ बातचीत करते पाया गया तो वो चाहे कितना भी महत्वपूर्ण क्यों ना हो, निकाल बाहर किया जाएगा।
अजीत साही ने इस बात को दोबारा भी कहा। शायद उन्हें भी पता नहीं था कि क्या होने वाला है। खैर इसके करीब दो हफ्ते बाद चैनल बिक गया। आशुतोष के आने की खबर आ गई। बाकी लोगों ने ज्वाइन कर लिया। अजित जी एडीटर स्पेशल प्रोग्राम्स बना दिए गए। फिर एक दिन वो चले गए।
इसके बाद बड़़े पैमाने पर छंटनी हुई। निकालने और लिफाफा पकड़ाने की जिम्मेदारी प्रशांत टंडन को सौंपी गई थी। जब करीब चालीस लोगों की बलि ले ली गई तो आखिरकार किसी ने प्रशांत टंडन को भी रवानगी का लिफाफा पकड़ा दिया।
आईबीएन 7 में कुछ नया नहीं हुआ, सात नंबर वाले इस चैनल में सात साल बाद फिर वही कहानी दोहराई गई, जो सात साल पहले हुई थी।
(आजतक के पत्रकार विकास मिश्र के एफबी वॉल से साभार)