-पुष्य मित्र,पत्रकार-
#againstNDTVban तो हूं, #insupportofNDTV नहीं हूं.
अपने देश में बड़ी अजीब समस्या है, यहां लोग पीड़ित पक्ष को ही नायक बनाने पर तुल जाते हैं. जहां तक एनडीटीवी बैन का मसला है, मैं उसे पीड़ित पक्ष मानता हूं. मगर इस बैन के बहाने एनडीटीवी का नायकत्व स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हूं. मैं एनडीटीवी पर बैन के खिलाफ तो हूं, मगर एनडीटीवी के समर्थन में नहीं खड़ा हूं.
वजह साफ है. पिछले दो-तीन सालों में एनडीटीवी ने हम जैसे लोगों को सिखाया है कि कैसे जनपक्षधरता के नाम पर बायस्ड और पोलिटिकल मोटिवेटेड पत्रकारिता की जा सकती है. अगर आज देश में पत्रकारिता का माहौल गिरा है तो उसमें जी न्यूज और इंडिया टीवी के साथ-साथ एनडीटीवी जैसे चैनलों की भी बड़ी भूमिका है. इस लिहाज से ये तमाम चैनल मेरे लिए राजनीतिक पार्टियां सरीखे हैं, मीडिया नहीं हैं.
मगर फिर भी, किसी सरकार को यह हक नहीं कि वह अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदी मीडिया घराने को सजा दिलाने की कोशिश करे. सरकार को कोई हक नहीं है कि वह संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों का इस्तेमाल अपने राजनीतिक हित में करे. इसलिए मैं इस बैन के खिलाफ हूं. #NDTV