हिन्दुस्तान अखबार के कार्यालय में एक जाति विशेष की पौ बारह

शालीन

हिन्दुस्तान के संपादक ने पैर का घाव ठीक करने के बदले पैर को ही काटकर हटा दिया

समस्तीपुर(बिहार). कहते हैं कि ‘जातीयता’ भी बड़ी कुत्ती चीज होती है। राजनीति हो और पत्रकारिता दोनों ही प्रोफेशन में जातीयता का वायरस बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। अगर जातीयता का दांव सफल रहा तो उसूल, मान-मर्यादा सभी को ताक पर रखकर जातीयता का झंडा बुलंद किया जा सकता है। उत्तर बिहार एवं मिथिलांचल की प्रमुख स्थली समस्तीपुर के हिन्दुस्तान कार्यालय में भी इन दिनों जातीयता का झंडा बुलंद हो गया है। यहां के मोडम कार्यालय में एक मात्र रिर्पोटर को छोड़कर बांकी सभी के सभी ‘हिन्दुस्तानी’ जाति विशेष के हैं। प्रबंधन द्वारा जबसे पूर्व के ब्यूरो प्रभारी मोहन कुमार मंगलम को हटाकर ब्रजमोहन मिश्रा को दूसरी बार समस्तीपुर का बागडोर सौंपा है तबसे हिन्दुस्तान में व्याप्त ‘जातीवाद’ की चर्चा स्थानीय मीडिया जगत में प्रमुखता से होती है।

अब एक नजर ‘हिन्दुस्तान समस्तीपुर’ में व्याप्त जातिवाद पर डालते हैं। वर्तमान ब्यूरो प्रभारी ब्रजमोहन मिश्रा की इस जिले में यह दूसरी पारी है। कहते हैं कि पहली पारी के दौरान इन्हें समस्तीपुर से ‘विशेष लगाव’ लगाव हो गया था क्योंकि यहां व्याप्त जातिवाद के माहौल में उन्हें अपने स्वजातीय सहयोगियों का भरपूर सहयोग और समर्थन मिल रहा था। इसी बीच प्रबंधन ने इन्हें मधुबनी भेजकर गया कार्यालय में विवादित चल रहे सतीश मिश्रा को समस्तीपुर की बागडोर सौंपी लेकिन वे यहां नहीं चल सके क्योंकि अनुशासन के मामले में वे कुछ ज्यादा सख्त प्रवृति के थे। 11 जनवरी 2013 को सतीश मिश्रा को मुख्यालय वापस बुलकार मोहन कुमार मंगलम को समस्तीपुर की बागडोर सौंपी गई। मोहन कुमार मंगलम का अपने शहर में बॉस की कुर्सी पर बैठना जाति विशेष की लॉबी को पसंद नहीं आई और इनके आगमन के साथ ही उनके खिलाफ साजिश रचने का खेल प्रारंभ हो गया। साजिश के दौरान कुछ घिनौनी करतूत को भी अंजाम दिया गया जिसमें विज्ञापन प्रभारी के कक्ष में लगे पंखा का नट-बोल्ट खेलकर हादसे को निमंत्रण दिया गया।

संयोग अच्छा था जो कार्यालय में हादसा होते-होते रह गया। जब यह दांव फेल कर गया तब आॅफिस में कार्यरत सभी जाति विशेष के लोग एकजुट होकर मोहन कुमार मंगलम के साथ असहयोगात्मक बर्ताव करने लगे। आॅफिस में व्याप्त माहौल को भांपते हुए संपादक स्तर से मामले की जब जांच करवाई गई तो संदेहास्पद बर्ताव के आरोप में एक पुराने कर्मी की छुट्टी कर दी गई जो जातीयता का झंडा ढ़ोकर अपना उल्लू सीधा करनेवालों को नागवार लगा। इसके बाद मोहन कुमार मंगलम की यहां से विदाई हेतु तरह-तरह का प्रपंच रचा जाने लगा और अंततः उन्हें आॅफिस का इन्वर्टर घर पर उपयोग करने के आरोप में मुख्यालय बुला लिया गया और तेज तर्रार संपादक आदरणीय संजय कटियार जी द्वारा पूर्व के दिनों में यहां कार्य कर चुके ब्रजमोहन मिश्रा को अपने साथ समस्तीपुर लाकर यहां का कार्यभार उन्हें सौंपा गया। यहां तेज तर्रार छवि वाले संपादक महोदय भी जाति विशेष द्वारा रची गई साजिश के चक्कर में आ गए और समस्तीपुर कार्यालय में फिर से जाति विशेष का झंडा बुलंद हो गया। जबकि इस मामले की सच्चाई यह है कि मोहन कुमार मंगलम ने आॅफिस के खराब पड़े इन्वर्टर की जानकारी फरवरी माह में ही मुजफ्फरपुर मुख्यालय के सिस्टम इंचार्ज को दे दिया था। इस प्रसंग के बारे में पूछे जाने पर मोहन कुमार मंगलम ने कुछ भी बोलने से इनकार करते हुए जानकारी दिया कि अब वे मुजफ्फरपुर स्थित मुख्यालय में अपनी सेवा ‘एचएमवीएल’ को दे रहे हैं और वे पीछे मुड़कर देखनेवालों में से नहीं है।

हालांकि इस मामले की सच्चाई यह कि ऑफिस का इन्वर्टर मोहन कुमार मंगलम के घर पर न होकर वह स्थानीय बाजार के एक मैकेनिक के यहां ठीक करने के लिए दिया गया था लेकिन ऑफिस में इन्वर्टर नहीं पाकर संपादक महोदय आपा खो बैठे और समस्तीपुर आॅफिस में व्याप्त गुटबाजी को समझे बुझे बिना एक कठोर फैसला ले लिया। उनके द्वारा लिये गये निर्णय को स्थानीय मीडिया जगत में खूब चर्चा हो रही है और लोग कह रहे हैं कि ‘संपादक जी ने पैर के घाव को ठीक करने के बजाये पैर ही काटकर फेंक दिया। कुल मिलाकर अब समस्तीपुर के हिन्दुस्तान कार्यालय में जाति विशेष के लोगों की पौ बारह है और यहां जातीयता का झंडा शान से लहरा रहा है।

(समस्तीपुर से शालीन की रिपोर्ट)

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