सुयश सुप्रभ
हिंदी के प्रचार-प्रसार में धूम 3 की सराहनीय भूमिका को हमेशा याद किया जाएगा। इस फ़िल्म में चोर ऐसे देश की दीवारों पर देवनागरी लिपि में हिंदी लिखता है जहाँ उसे रोमन लिपि में भी शायद ही कोई समझ पाए। फ़िल्मों के अलावा रेडियो ने भी इस दिशा में महत्वपूर्ण काम किया है। एक रेडियो जौकी ने जब मौसम के खुशनुमा होने की ‘आशंका’ जताई तो मुझे यह बात अच्छी तरह समझ में आ गई कि अभी हिंदी का स्वर्ण काल चल रहा है। हमें भी इस बात की ‘आशंका’ है कि केजरीवाल के मंत्रियों ने हिंदी में शपथ लेकर जो माहौल बनाया है उसमें इस भाषा को अच्छी-खासी मज़बूती मिल सकती है।
(स्रोत-एफबी)