हिंदी अख़बार भी कोरोना के टीके को टीका नहीं, वैक्सीन लिख रहे हैं। भाषा ऐसी बरतनी चाहिए, जो हरेक तक निर्बाध पहुँच जाए। अख़बार गाँव-क़स्बों में भी पढ़े जाते हैं। टीवी वे भी देखते हैं जो साक्षर नहीं। उन्हें वैक्सीन शब्द ज़्यादा समझ आएगा या टीका?
ऐसे ही, आज अख़बारों ने ख़ूब लिखा है कि वैक्सीन का ‘ड्राई रन’ किया गया। क्या इसका अर्थ हर कोई समझ लेगा? टीके कैसे लगेंगे, इसके विभिन्न चरणों का दिखावटी प्रयोग यानी अभ्यास भर किया गया है। जयपुर में सिर्फ़ एक अख़बार में मुख्य ख़बर के साथ यह खुलासा देखने को मिला कि “ड्राई रन क्या है”। …
ड्राई रन, मॉक ड्रिल जैसे प्रयोगों के हिंदी समानार्थी रचना/बरतना मुश्किल काम नहीं। पर अंगरेज़ी के रास्ते आने वाली ख़बरों की शायद यही नियति है।
(वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी के वॉल से साभार)