हिंदी देश की सबसे बड़ी संपर्क की भाषा – राजनाथ सिंह

हिंदी दिवस समारोह : राजभाषा पुरस्कारों का वितरण

आज 14 सितंबर, 2014 को राष्ट्रकपति भवन, नई दिल्ली के ओडिटोरियम में हिंदी दिवस समारोह मनाया गया जिसमें राष्ट्रिपति प्रणब मुखर्जी ने राजभाषा हिंदी के प्रयोग में सर्वश्रेष्ठ प्रगति हासिल करने वाले केंद्र सरकार के मंत्रालयों/विभागों/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, बोर्डों/स्वायत्त निकायों तथा नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों को राजभाषा शील्ड प्रदान कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी उपस्थि्त थे ।

इन्दिरा गांधी मौलिक पुस्तक लेखन में राजीव रंजन प्रसाद की पुस्तक ‘मौन मगध में’ तथा राजीव गांधी राष्ट्रीय ज्ञान-विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन में डॉ0 शुभ्रता मिश्रा की पुस्तक ‘भारतीय अंटार्कटिक संभार तंत्र’ को प्रथम पुरस्कार प्रदान किए गए। विभाग द्वारा चलाई गई अन्ये योजना के अंतर्गत उत्कृष्ट लेखों में श्याकम किशोर वर्मा एवं बी.यू. दुपारे के लेख ‘हिंदी का साहित्यिचक, ऐतिहासिक, तकनीकी एवं वैधानिक स्वारूप: अतीत और वर्तमान परिदृश्य.’ हिंदी भाषियों की श्रेणी में तथा डॉ. राकेश कुमार शर्मा के लेख प्रकृति का वरदान: गेहूं का ज्वावरा को हिंदीतर भाषियों की श्रेणी में प्रथम पुरस्कार प्रदान किए गए|

गृह पत्रिकाओं में भाषाई क्षेत्र ‘क’, ‘ख’ तथा ‘ग’ के अंतर्गत ‘विद्युत स्वेर’, ‘प्रेरणा’, स्प न्द,न को प्रथम तथा ‘इक्षु’, ‘सेन्ट्रओलाइट’, और ‘सुगंध’ को द्वितीय पुरस्कार प्रदान किए गए |

गृह मंत्री जी ने अपने भाषण में कहा कि भाषा के तीन वाहक होते हैं – संपर्क, संचार और संस्कृिति। जहां तक संपर्क का प्रश्नत है हिंदी नि:संदेह देश की सबसे बड़ी संपर्क की भाषा है। भारत में आज 85 से 90 फीसदी जनता ऐसी है जो हिंदी भलीभांति बोलती और समझती है। उन्हों ने कहा कि हॉलीवुड के बाद बॉलीवुड सबसे बड़ी इंडस्ट्रीक है और यहां भी हिंदी चलचित्र को लोग ज्यामदा देखते हैं। इससे हिंदी का विस्ता र हुआ है। जहां तक भाषा का प्रश्नऔ है, संस्कृजत सभी भारतीय भाषाओं की जननी है और सभी भारतीय भाषाएं परस्प र बहनें हैं। भारतीय भाषाओं के बीच परस्पकर प्रेम और सौहार्द रहना चाहिए। इसी भावना के साथ हिंदी आगे बढ़ेगी। स्वािधीनता आंदोलन के नेताओं का उल्लेचख करते हुए उन्हों ने कहा कि हिंदी को राजभाषा बनाने में हिंदीतर भाषियों की अग्रणी भूमिका रही है। उन्हों ने कहा कि हिंदी निरंतर आगे बढ़ रही है।

सिनेमा के जरिए हिंदी का प्रसार विश्व स्तमर पर हुआ है। आज तकनीक की भाषा भी हिंदी बनती जा रही है जो हिंदी के बढ़ते प्रभाव और प्रसार की सूचक है। पूर्व प्रधानमंत्र अटल बिहारी वाजपेयी ने संयुक्तद राष्ट्रै संघ में हिंदी में भाषण देकर हिंदी का मान बढ़ाया था। मैंने भी संयुक्तर राष्ट्रर में अपना भाषण हिंदी में दिया था। उन्हों्ने इस बात का आह्वान किया कि हिंदी को सहजता और सरलता के साथ सर्वग्राहय और सर्व स्वी कार किया जाना चाहिए।

राष्ट्रोपति प्रणव मुखर्जी ने अपने उदबोधन में हिंदी के महत्वज का उल्लेयख करते हुए कहा कि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने एक बार कहा था कि यदि भारत की अन्यर भाषाएं नदी हैं तो हिंदी महानदी है। लोकतंत्र में सरकार और जनता के बीच प्रशासनिक संपर्क को सशक्त बनाने में भाषा की महत्विपूर्ण भूमिका है। सरकारी नीतियों और योजनाओं को जनता तक उनकी अपनी बोली में पहुंचाने में भाषा सहायक है। यदि हम चाहते हैं कि हमारा लोकतंत्र प्रगतिशील हो तथा विकास योजनाएं जनता तक सुचारू रूप से पहुंचे तो हमें संघ के कामकाज में हिंदी का तथा राज्यों के कामकाज में उनकी प्रांतीय भाषाओं का इस्ते माल बढ़ाना होगा। राष्ट्रमपति महोदय ने कहा कि उच्चा शिक्षा में हिंदी में पुस्त्कें उपलब्ध होनी चाहिए। उन्हों ने कहा कि राजभाषा विभाग ने सभी विभागों की वेबसाइट को हिंदी में भी सूचना उपलब्ध कराने में अपना योगदान दिया है। सभी सरकारी कार्यालयों को अब यह सुनिश्चिभत करना चाहिए कि वेबसाइटों पर नवीनतम सूचनाएं हिंदी में उपलब्धं हों जिससे कि जनता को उपयोगी जानकारी तुरंत उपलब्धभ हो सके। माननीय राष्ट्र पति जी ने कहा कि सरकारी कामकाज की भाषा सरल होनी चाहिए। राजभाषा हिंदी के विकास को गति देने में राजभाषा विभाग के कार्यों का उल्ले ख करते हुए उन्होंाने कहा कि राजभाषा विभाग ने सरल हिंदी को बढ़ावा देने के लिए सरल हिंदी शब्दाावली तैयार की है। इससे सरकारी कार्यालयों में हिंदी में कामकाज करने को बढ़ावा मिलेगा। देश के विश्व विद्यालयों की शिक्षा पद्धति और शिक्षा के स्तीर पर चिंता व्यंक्ता करते हुए माननीय राष्ट्रमपति जी ने कहा कि विश्वय के दौ सौ सर्वोत्त म उच्चक शिक्षा संस्थाषनों की सूची में भारत का कोई भी संस्थायन शामिल नहीं है। उन्हों ने इसका कारण अपनी भाषा में ज्ञान-विज्ञान का न होना बताया। उन्होंयने कहा कि राजभाषा विभाग द्वारा हिंदी में ज्ञान-विज्ञान और तकनीकी पुस्त क लेखन को बढ़ावा देना एक सराहनीय कदम है ।

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